योग गुरु बाबा रामदेव के ग्रह-नक्षत्र शायद अच्छे नहीं चल रहे हैं। आयुर्वेदिक उत्पादों के विज्ञापन पर सुप्रीम कोर्ट से कड़े शब्द सुनने के बाद अब उनके आवासीय योग शिविरों में प्रवेश शुल्क पर टैक्स लगने से उनको नया झटका मिला है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (CESTAT) की इलाहाबाद पीठ के 5 अक्टूबर, 2023 के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। इसमें कहा गया था कि पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट अपने आवासीय और गैर-आवासीय योग शिविरों पर सेवा कर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है, क्योंकि वह आवासीय योग शिविरों में प्रवेश शुल्क लेता है।

CESTAT ने योग कार्यक्रम को ‘स्वास्थ्य और फिटनेस सेवा’ कैटेगरी में डाला

ट्रस्ट की अपील का निपटारा करते हुए न्यायमूर्ति ए एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि CESTAT ने इसे “स्वास्थ्य और फिटनेस सेवा” की कैटेगरी में डालकर सही किया था। CETSAT ने ट्रस्ट के इस तर्क को भी खारिज कर दिया था कि उसे योग शिविरों के प्रतिभागियों से जो धन मिलता है, वह दान है।

पतंजलि ट्रस्ट ने सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क, मेरठ के आयुक्त के अक्टूबर 2012 के आदेश को चुनौती देने के लिए CETSAT से संपर्क किया था, जिसमें 4.94 करोड़ रुपये सर्विस टैक्स और इतनी ही राशि जुर्माने की मांग की पुष्टि की गई थी।

ट्रस्ट ने कहा- वह प्रतिभागियों से दान लेता है, फीस नहीं

CESTAT के समक्ष बहस करते हुए ट्रस्ट ने तर्क दिया कि उसकी गतिविधियां स्वास्थ्य और फिटनेस सेवाओं की कैटेगरी के तहत टैक्स वाली नहीं हैं, क्योंकि इसका शारीरिक फिटनेस के लिए योग है न कि उपचार उद्देश्य के लिए है। ट्रस्ट ने यह भी कहा कि उसने इन योग शिविरों में प्रतिभागियों से जो स्वैच्छिक दान लिया है और किसी भी सेवा के तहत नहीं लिया है।

ट्रस्ट की अपील को खारिज करते हुए CETSAT ने वित्त अधिनियम 1994 में “स्वास्थ्य और फिटनेस सेवा” की परिभाषा को सही माना। इसमें “सॉना (Sauna) और भाप स्नान, तुर्की स्नान, सोलारियम, स्पा, बॉडी को फिट करने या स्लिमिंग सैलून, व्यायामशाला, योग, ध्यान, मालिश (चिकित्सीय मालिश को छोड़कर) जैसे शारीरिक मजबूती के लिए सेवा” लिखा।” ट्रस्ट के इस तर्क पर कि जो प्राप्त हुआ वह दान था, सीईटीएसएटी ने कहा, “यह बिल्कुल साफ है कि राशि… कुछ और नहीं बल्कि स्वास्थ्य और फिटनेस सेवाओं के तहत कर योग्य सेवा के प्रावधान पर विचार था।”