सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (2 अप्रैल) को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा 12 फरवरी को जारी सर्कुलर को रद्द कर दिया। शीर्ष न्‍यायालय की दो सदस्‍यीय बेंच ने RBI सर्कुलर को ‘असंवैधानिक’ बताया है। पिछले साल सितंबर में इस मामले पर सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने सर्कुलर पर रोक लगा दी थी। इस सर्कुलर के जरिए RBI ने निर्देश दिए थे कि अगर डिफॉल्‍ट होने के 180 दिन के भीतर 2,000 करोड़ रुपये से ऊपर किसी भी रकम के कर्ज का निपटारा नहीं होता है तो इसे दिवाला एवं दिवालियापन संहिता के तहत लाया जाएगा।

सर्कुलर में फर्मों के बीच के अंतर को स्‍पष्‍ट नहीं किया गया था। यानी खराब मैनेजमेंट की वजह से या फिर बाहरी और अन‍ियंत्रित कारकों की वजह से कर्ज चुकाने में नाकाम कंपनियों के बीच कोई फर्क परिभाषित नहीं किया था। इस सर्कुलर के जरिए एक दिन की भी छूट देने से इनकार किया गया था। अगर कोई कंपनी भुगतान में एक दिन भी देरी करती तो बैंक उसे डिफॉल्‍टर मान सकते थे। फरवरी 2019 में RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने साफ किया था कि इस सर्कुलर में बदलाव का कोई प्रस्‍ताव नहीं है।

एस्‍सार पावर, RKM पावर, IL&FS, GMR एनर्जी, रत्‍तन इंडिया और KSK महानदी जैसी ऊर्जा कंपनियों ने इस सर्कुलर के खिलाफ विभिन्‍न उच्‍च न्‍यायालयों में केस दायर किया था। इसके अलावा, शिपिंग और चीनी कंपनियों ने भी सर्कुलर से राहत मांगी थी। ऊर्जा कंपनियों का आरोप था कि केंद्रीय बैंक का यह सर्कुलर ‘सबको एक नियम से हांको’ पर आधारित था।