सुप्रीम कोर्ट ने 26 जनवरी की हिंसा के दौरान ट्वीट कर कथित तौर पर लोगों को ‘भ्रमित’ करने के मामले में दर्ज प्राथमिकी में सांसद शशि थरूर एवं अन्य की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। हिंसा के दौरान एक प्रदर्शनकारी की मौत पर ट्वीट करने के मामले में कांग्रेस नेता शशि थरूर और वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

CJI एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने थरूर, सरदेसाई और पत्रकार मृणाल पांडे, जफर आगा, परेश नाथ, विनोद के. जोस और अनंत नाथ की याचिका पर केंद्र व अन्य को नोटिस जारी कर उनका जवाब मांगा है। पीठ ने जब कहा कि वह इस मामले में नोटिस जारी कर रही है तो थरूर की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि तब तक याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न किये जाने का आदेश दिया जाए। पीठ ने इस पर कहा, ‘कुछ नहीं होने जा रहा। खतरा कहां है।’

बेंच में सीजेआई के अलावा न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायामूर्ति वी रामसुब्रमण्यम भी शामिल हैं। पीठ ने कहा, ‘हम दो हफ्ते बाद आपको सुनेंगे और इस बीच गिरफ्तारी पर रोक रहेगी।’ दिल्ली पुलिस ने 30 जनवरी को थरूर, सरदेसाई और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इससे पहले थरूर और छह पत्रकारों के खिलाफ नोएडा पुलिस ने कथित राजद्रोह समेत विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। अधिकारियों ने कहा था कि ये मामला दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा को लेकर दर्ज हुए थे।

तुषार मेहता ने कोर्ट में याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि उनके ट्वीट से गंभीर प्रभाव पड़े हैं। दिल्ली पुलिस ने 30 जनवरी को थरूर, सरदेसाई, कारवां पत्रिका और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था। सरदेसाई को चैनल में एक महीने के लिए सैलरी कट के साथ ऑफ एयर भी कर दिया गया। मध्य प्रदेश पुलिस ने भी तथाकथित भ्रामक ट्वीट करने के आरोप में केस दर्ज किया था।

(भाषा से इनपुट्स के साथ)