सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केरल सरकार को राज्य के मंत्रियों के निजी कर्मचारियों को केवल दो साल की सेवा पूरी करने के बाद “आजीवन” पेंशन प्रदान करने के लिए फटकार लगाई। दरअसल, अदालत की यह सख्त टिप्पणी तब आई जब केरल राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर ऑयल मार्केटिंग कंपनी (OMC) पर मनमानी का आरोप लगाया।
सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर केरल राज्य सड़क परिवहन निगम ने कहा था कि सार्वजनिक उपक्रम यानी पीएसयू के तहत आने वाली ऑयल मार्केटिंग कंपनी (OMC) ने बड़ी मात्रा में डीजल खरीदने और खपत करने वालों को एक फरवरी से बाजार भाव से महंगा डीजल सप्लाई करने की नीति बनाई है। जिसके चलते जनता पर बोझ बढ़ता जा रहा है।
अदालत इस मामले पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं थी लेकिन न्यायमूर्ति एस अब्दुल नज़ीर और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी सहित दो न्यायाधीशों की पीठ ने केरल सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। न्यायमूर्ति एस अब्दुल नज़ीर ने मौखिक टिप्पणी में द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि, “यह एकमात्र राज्य है जहां मंत्री 2 साल के लिए व्यक्तियों की नियुक्ति करते हैं और फिर उन्हें जीवन भर पूरी पेंशन दी जाती है।”
न्यायमूर्ति एस अब्दुल नज़ीर ने यह भी कहा कि, मंत्रियों के स्टाफ को दो साल की सर्विस के बाद जीवन भर पेंशन के लिए आपके पास पैसा रहता है; लेकिन यहां आपको पैसे की कमी है। अपनी मौखिक टिप्पणी में न्यायमूर्ति एस अब्दुल नज़ीर ने कहा आप एकमात्र राज्य हैं जहां उन्हें केवल 2 साल के लिए नियुक्त किया जाता है और उन्हें आजीवन पेंशन मिलती है। द इंडियन एक्सप्रेस में इस बात को लिखा गया है और यह बात आपके राज्य के उच्च अधिकारियों ने ही कही है।”
दरअसल, 5 मार्च को ऑनलाइन आयोजित आइडिया एक्सचेंज इवेंट में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत की; जिसकी प्रतिलिपि सोमवार को प्रकाशित की गई थी। जिसमें राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने पेंशन से जुड़े सवालों का जवाब देते हुए कहा था कि प्रत्येक मंत्री 20 से अधिक लोगों को ‘क्वो टर्मिनस’ के आधार पर नियुक्त करता है और वे दो साल बाद पेंशन के हकदार हो जाते हैं। ऐसा देश में कहीं नहीं हो रहा है और मुझे यह बहुत अनुचित लगता है।”
बता दें कि, केएसआरटीसी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता वी गिरी ने पीठ को बताया था कि केएसआरटीसी से बाजार दर से अधिक का अंतर मूल्य वसूला जा रहा है और यह अंतर 7 रुपये प्रति लीटर है। साथ ही उन्होंने बताया कि उक्त फैसले से राज्य परिवहन निगम पर और बोझ पड़ेगा, जो कि पहले से ही कर्ज में है। ऐसे में ऑयल मार्केटिंग कंपनी का ये फैसला मनमाना और भेदभावपूर्ण है।
इस याचिका पर विचार न करने की अपनी इच्छा व्यक्त करते हुए जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने केएसआरटीसी को हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता दी है। जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर ने कहा कि आप केरल हाई कोर्ट जाइए, क्योंकि वह स्वयं फैसला लेने में सक्षम हैं।