सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से हाई कोर्ट के जस्टिस की नियुक्ति पर नाराजगी जताई। मंगलवार को कोर्ट ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में प्रमोशन के लिए कॉलेजियम द्वारा रिकमेंड लोगों के नामों को अपनी मर्जी से चुनने पर अपनी नाराजगी जताई। अदालत ने कहा कि किसी वकील का राजनीतिक जुड़ाव उन्हें जस्टिस के रूप में नियुक्त होने से अयोग्य घोषित करने का कारण नहीं होना चाहिए जब तक कि वह उनके न्यायिक कार्य को प्रभावित नहीं करता है।
जस्टिस एसके कौल की अध्यक्षता वाली दो-न्यायाधीशों की पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से यह भी कहा कि वह सरकार से उसके द्वारा रिकमेंड तबादलों को नोटिफाई करने के लिए कहें। पीठ ने कहा कि ऐसा न करने से सिस्टम में एक विसंगति पैदा होती है।
जजों की नियुक्ति में सरकार का पिक एंड चूज रवैया ठीक नहीं- सुप्रीम कोर्ट
पीठ में न्यायमूर्ति सुधांशु धूला भी शामिल थे, एडवोकेट्स एसोसिएशन बेंगलुरु और एनजीओ सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (CPIL) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण के मामले में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिशों पर फैसला लेने में देरी के लिए केंद्र के खिलाफ अदालती कार्यवाही की अवमानना की मांग की गई थी।
जस्टिस कौल ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में हाल की कुछ नियुक्तियों का जिक्र करते हुए कहा, ”यह सिलेक्टिव बिजनेस, यह पिक एंड चूज बंद होना चाहिए।” सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा प्रमोशन के लिए रिकमेंड किए गए कुल पांच वकीलों में से केवल तीन नामों को मंजूरी दी थी। .