सियासी मुद्दों पर बेबाक राय रखने वाले सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज मार्कंडेय काटजू ने अब क्रिकेट का उदाहरण देकर देश की समस्याओं को सामने रखा है। उन्होंने क्रिकेट फैंस पर भी निशाना साधा है। एक फेसबुक पोस्ट पर काटजू ने कहा कि क्रिकेट टेलिकास्ट लोगों को बांटने की बेहतरीन तरकीब है, इससे लोग अपनी दुखभरी स्थितियों को भूल जाते हैं। काटजू ने क्रिकेट को सर्कस कहकर इशारे में इसे लोगों मुद्दों से भटकाने का जरिया बताया।
काटजू ने रविवार को फेसबुक पोस्ट की शुरुआत में कहा, “कुछ लोगों ने मुझसे पूछा कि क्या मैं आईपीएल देख रहा हूं। तो मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि मैं क्रिकेट को हिंदुस्तानी लोगों के लिए एक अफीम मानता हूं, जो उन्हें नशे में रखने के काम आती है। मनोरंजन के साधनों पर निशाना साधते हुए काटजू ने आगे कहा, “दूसरे अफीम (नशे के साधन) बॉलीवुड, राजनीति, टीवी और धर्म हैं।”
पूर्व जज ने कहा कि रोमन साम्राज्य में राजा कहते थे कि अगर आप लोगों को खाना न दे सको, तो उन्हें सर्कस दे दो। भारत में क्रिकेट एक ऐसा ही सर्कस है, जो उन्हें तब दिया जाता है, जब उन्हें रोजगार, स्वास्थ्य सेवाएं, पौष्टिक आहार, अच्छी शिक्षा नहीं दी जा पाती। यह बांटने की एक शानदार तकनीक है, जिससे लोग अपनी समस्याओं को भी भूल जाते हैं। काटूज ने तंज कसते हुए कहा, “माफ कीजिएगा दोस्तों, आप अपने आपको इस पागलपन में कैद रख सकते हैं, पर कृपया मुझे इससे छोड़ दें। हरिओम”
काटजू के इस ट्वीट पर सोशल मीडिया यूजर्स ने प्रतिक्रियाएं जाहिर कीं। ब्यूरोक्रेट डॉक्टर हरिओम ने काटजू के ट्वीट पर कहा, “मगर सर मैंने तो पूछा नहीं था और न ही मैं IPL देखता हूं। फिर नीचे मेरा नाम..लेकिन मैं आपसे पूरी तरह सहमत हूं।” ट्विटर हैंडल @barishmallick ने कहा, “बहुत कड़वे शब्द, पर बिल्कुल सच। हमें एक वैज्ञानिक संस्थान की स्थापना की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट भी बराबरी को सही स्वरूप में आगे बढ़ाने और बनाए रखने में नाकाम रही है। हमारे वैज्ञानिक संस्थानों को दबाने से महिमामंडन वाली नौकरशाही को नुकसान हुआ है”
Very Harsh word.But very Truthful.We needs to build more Scientific establishment.
Supreme court also have failed to promote and uphold equality in real from.Repression on science establishment leads to the deprivation
over glorification of Bureaucracy&law field alsodark practice— JY0TIRMOY MALLICK (@barishmallick) September 20, 2020
दूसरी तरफ काटजू की बात पर जवाब में रणदीप कुमार वाधवा नाम के यूजर ने कहा, “काटजू जी, लगतार है कि आप अपनी ही दुनिया में रह रहे हैं। क्रिकेट बेहतरीन मनोरंजन के साधनों में है और इस अवसाद भरे समय में सबसे ज्यादा जरूरी है। आपका यह बांटने की तकनीक वाला तर्क थोड़ा अजीब है। यह एक सालाना इवेंट है, जो चल रहा है।” एक अन्य यूजर प्रेम कुमार ने कहा, “न्यूज चैनलों पर बिना किसी मुद्दे की डिबेट देखने से अच्छा है कि क्रिकेट देखा जाए। 5 बजे- बॉलीवुड में ड्रग्स, 6 बजे- जस्टिस फॉर सुशांस सिंह राजपूत, 7 बजे- रिया के साथ क्या होगा। कल मुंबई और चेन्नई का मैच हुआ था और वह काफी मनोरंजक था।”
It is better to watch cricket rather than watching non issues being debated in news channels. At 5 Pm news drugs in bollywood, 6 PM justice for SSR. 7 PM, what next for rhea. Yesterday’s MI vs CSK match was very entertaining.
— Prem Kumar (@premex2008) September 20, 2020

