Gujarat News: देश की सर्वोच्च अदालत ने कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा सांसद और कवि इमरान प्रतापगढ़ी को एक इंस्टाग्राम पोस्ट से जुड़े केस में गुजरात पुलिस द्वारा दर्ज की गई FIR के मुद्दे पर राहत दी है। कोर्ट ने कांग्रेस नेता को अंतरिम राहत दी है और FIR पर किसी भी तरह की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अंततः यह इंस्टाग्राम पोस्ट महज एक कविता ही थी।
दरअसल, आज सुप्रीम कोर्ट में इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ दर्ज केस में सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार की तरफ से पेश वकील ने कोर्ट से समय मांगा था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस कविता के लिए यह केस दर्ज हुआ है, उसका सही अर्थ समझने का प्रयास होना चाहिए। यह कविता किसी धर्म के विरोध में नहीं कही गई है। इसका मकसद अहिंसा की बात करना था।
इंस्टाग्राम पर किया था इमरान प्रतापगढ़ी ने पोस्ट
बता दें कि जामनगर में एक सामूहिक विवाह कार्यक्रम में शामिल होने के बाद इमरान प्रतापगढ़ी ने 2 जनवरी को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया था. इस पोस्ट में उन्होंने बैकग्राउंड ऑडियो के तौर पर एक कविता लगाई थी, “ऐ खून के प्यासे लोगों सुनो..” जैसे शब्दों वाली कविता थी।
इमरान प्रतापगढ़ी की इस कविता को सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश बताते हुए 3 जनवरी को जामनगर के रहने वाले किशनभाई नंदा ने एफआईआर दर्ज करवाई थी। उस एफआईआर में बीएनएस की धाराएं 196 और 197 जोड़ी गई हैं।
LG वीके सक्सेना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर मामलों का अब क्या होगा? आइए जानते हैं कुछ प्रमुख केस
पहले इमरान प्रतापगढ़ी हाई कोर्ट पहुंचे थे लेकिन उनकी याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी थी। इसके बाद प्रतापगढ़ी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि न्यायाधीश ने कानून का उल्लंघन किया है।
जज बोले- थोड़ा प्लीज अपना भी दिमाग लगाएं
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ओका ने राज्य के वकील से कहा कि कृपया कविता पर अपना दिमाग लगाएं। आखिरकार, रचनात्मकता भी महत्वपूर्ण है। इस केस को निरस्त करवाने के लिए इमरान ने गुजरात हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने दलील दी कि उनका मकसद शांति और प्रेम को बढ़ावा देना था, लेकिन हाई कोर्ट के जस्टिस संदीप भट्ट की बेंच ने इससे मना कर दिया।
इमरान प्रतापगढ़ी के क्या थे तर्क?
गुजरात हाई कोर्ट ने कहा कि जांच अभी शुरुआती दौर में है। इमरान प्रतापगढ़ी एक सांसद हैं, उन्हें जिम्मेदारी से काम लेते हुए कानूनी प्रक्रिया का पालन करना चाहिए।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 21 जनवरी को राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था और इस संबंध में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर आगे की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा था किगीत/कविता को साधारण तरीके से पढ़ने से पता चलेगा कि यह प्रेम और अहिंसा का संदेश है। सुप्रीम कोर्ट से संबंधित अन्य खबरों को पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।
