वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। सोमवार को दायर की गई याचिका को लेकर भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने तत्काल सुनवाई से इनकार किया। हालांकि पीठ ने ये बात जरूर कही कि जब ईमेल भेजकर तत्काल लिस्टिंग कराने की व्यवस्था है तो फिर मौलिक उल्लेख क्यों किया जा रहा है। पीठ ने कहा है कि उचित समय पर याचिका पर सुनवाई की जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और ए एम सिंघवी ने पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई का आग्रह किया। पीठ ने कहा कि ईमेल के जरिए जब भेजने की व्यवस्था है तो तत्काल सुनवाई का कोई औचित्य नहीं। जिसके बाद सीजेआई ने फिर अपनी बात दोहराई कि हर रोज सभी मामले दोपहर में पेश किए जाते हैं, जिसके बाद अदालत उन्हें सूचीबद्ध करने पर निर्णय लेती है।

ओवैसी, अमानतुल्ला, मदनी समेत इन बड़े नेताओं ने दायर की याचिका

सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग कुल 11 याचिका दायर की जा चुकी है। कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, हैदराबाद से सांसद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, आप विधायक अमानतुल्ला खान, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी, केरल सुन्नी विद्वानों की संस्था केरल जमीयतुल उलेमा, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया की ओर से वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर याचिका दायर की गई है।

वक्फ कानून को लेकर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में भारी हंगामा, NC ने वेल में आकर लगाए नारे

संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा से वक्फ संशोधन अधिनियम पास होने के बाद पास होने के बाद बीते 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपनी मंजूरी दे दी। उसके पहले संसद में अधिनियम जब बिल के रूप में पेश हुआ तो विपक्ष द्वारा खूब हंगामा किया गया। लोकसभा में 2 अप्रैल को 12 घंटे की लंबी बहस के बाद वोटिंग हुई जिसमें 288 वोट पक्ष में जबकि 232 वोट बिल के विपक्ष में पड़े थे। वहीं उसके अगले दिन राज्यसभा में करीब 14 घंटे की बहस के बाद रात के 3 बजे वोटिंग हुई। इस दौरान पक्ष में 128 जबकि विपक्ष में 95 वोट पड़े।