Supreme Court on Hate Speech: हेट स्पीच को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने टीवी चैनलों पर होने वाली डिबेट पर सख्त टिप्पणी की है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि सबसे ज्यादा हेट स्पीच मीडिया और सोशल मीडिया पर है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार(21 सितंबर) को कहा कि इस मामले में सरकार मूक दर्शक क्यों बनी है। बता दें कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। वहीं इस मामले की अगली सुनवाई अब 23 नवंबर को होगी।
अदालत ने कहा कि अभद्र भाषा अलग-अलग स्वरूपों में हो सकती है। किसी एक समुदाय का उपहास करना और इसे मीडिया के माध्यम से प्रसारित करना विनाशकारी प्रभाव डाल सकता है। जस्टिस के एम जोसेफ और हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा कि केंद्र को यह बताना होगा कि क्या उसने इस विषय पर किसी कानून को लाने पर काम कर रही है?
जस्टिस के एम जोसेफ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर सबसे अधिक नफरती भाषण देखने को मिलते हैं। इन मामलों में इंग्लैंड में एक टीवी चैनल पर भारी जुर्माना लगाया गया था। दुर्भाग्य यह भी है कि हमारे पास टीवी से जुड़े कोई नियामक सिस्टम नहीं है। सर्वोच्च अदालत की पीठ ने कहा कि इंग्लैंड जैसा सिस्टम भारत में नहीं है। एंकरों को जानना जरूरी है कि अगर आप गलत करेंगे तो उसे आपको ही भुगतना होगा।
वहीं न्यायमूर्ति रॉय ने कहा, “जब तक उल्लंघन करने वाले व्यक्ति पर उल्लंघन करने के कठोर परिणाम लागू नहीं होंगे तबतक संदेश कैसे जाएगा?” उन्होंने कहा कि नफरती भाषणों से टीआरपी बढ़ती है, मुनाफा होता है। जस्टिस जोसेफ ने कहा, “सबसे महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि हमारा देश किस ओर जा रहा है। अगर यह अभद्र भाषा है जिसे हम वास्तव में खिला रहे हैं, तो हमारा देश किस ओर जा रहा है?”
ब्रॉडकास्ट रेगुलेटर के वकील ने बेंच को बताया कि वह किस तरह से चैनलों के संबंध में काम कर रहा है, जिसमें पेनल्टी लगाना भी शामिल है। वहीं केंद्र से सवाल करते हुए अदालत ने पूछा, “आखिर आपका क्या रुख है? क्या आपने जवाबी हलफनामा दाखिल किया है? भारत सरकार का इसपर क्या स्टैंड है? जब यह सब हो रहा है तो भारत सरकार खामोश क्यों है?”