सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने तमिलनाडु सरकार को झटका देते हुए मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी है। मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ का रूट मार्चों को इजाजत दी थी। मद्रास हाईकोर्ट के इस फैसले को तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया था।
मद्रास हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सिंगल जज द्वारा आरएसएस रूट मार्च (RSS Route March) पर लगाई गई शर्तों को रद्द कर दिया था। इसी के विरोध में तमिलनाडु सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान सितंबर 2022 में हाई कोर्ट के सिंगल जज द्वारा पारित आदेश को चुनौती देते हुए राज्य सरकार द्वारा दायर एक अलग याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें उसने संगठन को जुलूस निकालने की अनुमति दी थी।
क्या है पूरा मामला?
RSS ने अक्टूबर 2022 में तमिलनाडु सरकार से राज्य में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ और गांधी जयंती मनाने के लिए मार्च निकालने की इजाजत मांगी थी। संघ के इस निवेदन को राज्य सरकार ने ठुकरा दिया था, जिसके बाद RSS ने हाईकोर्ट का रुख किया।
4 नवंबर को एक सिंगल जज ने आरएसएस को कुछ शर्तों के साथ मार्च निकालने की परमिशन दे दी थी। इन शर्तों में इंडोर स्पेस में मार्च निकालना शामिल था। इसके बाद 10 फरवरी को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस शर्तों को हटाते हुए एक स्वस्थ लोकतंत्र में विरोध के महत्व पर जोर दिया।
आरएसएस के पक्ष में फैसला आने के बाद तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी, गुरु कृष्णा कुमार और मेनका गुरुस्वामी ने RSS का पक्ष रखा। सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी तमिलनाडु सरकार की तरफ से पेश हुए।
मंगलवार सुबह सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम और जस्टिस पंकज मित्तल की बेंच ने इस याचिका को खारिज कर दिया। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार द्वारा एक सबमिशन पर इस मामले को स्थगित कर दिया था कि पक्ष समाधान पर पहुंचने के लिए उपयुक्त तरीकों पर चर्चा करेंगे।