सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम जन्मभूमि – बाबरी मस्जिद स्थल से लगी अविवादित जमीन पर मौजूद नौ प्राचीन मंदिरों में पूजापाठ की इजाजत की मांग करने वाली एक याचिका को शुक्रवार को खाारिज कर दिया। अदालत ने कहा, ”आप इस देश को कभी शांति से नहीं रहने देंगे। ” चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने कहा, ”वहां हमेशा ही कुछ होगा।”
शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के 10 जनवरी के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई करने के दौरान यह कहा। दरअसल, उच्च न्यायालय ने वहां नौ मंदिरों में पूजा अर्चना करने के लिए उसकी सहमति मांगने वाली एक याचिका खारिज कर दी थी और याचिकाकर्ता को खर्च के तौर पर पांच लाख रुपये भी भरने का निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने अपील पर सुनवाई करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता पंडित अमरनाथ मिश्रा को इस मुद्दे को कुरेदना बंद करना चाहिए। सामाजिक कार्यकर्ता मिश्रा ने उच्च न्यायालय के समक्ष दावा किया था कि अधिकारी प्राचीन मंदिरों में धार्मिक गतिविधियां शुरू किए जाने के प्रति आंखें मूंदे हुए हैं। ये मंदिर अयोध्या में कब्जे में लिए गए, लेकिन अविवादित भूमि पर हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस भूमि विवाद के हल के लिए हाल ही में मध्यस्थों का एक पैनल नियुक्त किया था।
मध्यस्थों को इस मामले के सभी पक्षकारों से बातचीत करने के लिए 8 हफ्ते की डेडलाइन दी गई है, जो 3 मई को खत्म होगी। मध्यस्था करने वाली टीम की अगुआई रिटायर्ड जस्टिस एफएम इब्राहिम कलिफुल्ला कर रहे हैं। इनसे अलावा आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और सीनियर एडवोकेट श्रीराम पंचू भी इसमें शामिल हैं।