प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई की। इस दौरान केन्द्र की तरफ से कोर्ट में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में उन लोगों की निजी भागीदारी पर सवाल उठाए, जो इस मामले में दखल देना चाहते हैं। तुषार मेहता ने उन लोगों को कयामत का पैगंबर करार दिया और उनकी विश्वनसनीयता पर सवाल उठाए।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लेते हुए केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों से जवाब मांगा है। जस्टिस अशोक भूषण, एसके कौल और एमआर शाह की पीठ के सामने अपना सबमिशन खत्म करने के बाद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि “बड़े पैमाने पर सरकार की तरफ से कदम उठाए जा रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट शुरुआत में इनसे संतुष्ट था लेकिन जिन्हें कयामत के पैगंबर बोला जाता है, वो सिर्फ नकारात्मकता, नकारात्मकता ही फैला रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि “ये सभी लोग सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं, इंटरव्यू दे रहे हैं, यहां तक कि इस बात को मानने के लिए भी तैयार नहीं हैं कि कितना कुछ किया जा चुका है। ये देश के प्रति कोई कृतज्ञता नहीं दिखा रहे हैं। राज्य सरकारें और मंत्री दिन रात काम कर रहे हैं लेकिन इनमें से कोई भी इस बात को मानने को तैयार नहीं है।”
इस दौरान सॉलिसिटर जनरल ने एक घटना का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि “एक फोटोग्राफर 1993 में सूडान गया था। वहां एक गिद्ध था और एक बीमार बच्चा। गिद्ध बच्चे के मरने का इंतजार कर रहा था। उस फोटोग्राफर ने उस घटना को कैमरे में कैद किया, जो कि न्यूयॉर्क टाइम्स में छपा। इसके बाद इस फोटो को पुलित्जर पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। लेकिन इस घटना के चार माह बाद ही उस फोटोग्राफर ने आत्महत्या कर ली थी।”
तुषार मेहता दक्षिण अफ्रीकी फोटोग्राफर केविन कार्टर की फोटो के बारे में बात कर रहे थे। जिस पर काफी बहस और विवाद हुआ था।
मेहता ने कहा कि “जो लोग सामने आ रहे हैं, उन्हें अपनी विश्वसनीयता साबित करनी चाहिए। वह करोड़ों में कमाते हैं, क्या उन्होंने एक रुपया भी खर्च किया है? लोग सड़कों पर लोगों को खाना खिला रहे हैं और आलोचक सिर्फ अपने एसी ऑफिस में बैठकर बातें कर रहे हैं।”
इस बीच जब कपिल सिब्बल बहस के लिए उठे तो तुषार मेहता ने कहा कि ‘यह कोर्ट राजनैतिक प्लेटफॉर्म नहीं बनने दिया जा सकता।’ कपिल सिब्बल जो कि दो संगठनों की तरफ से कोर्ट में पेश हुए थे, उन्होंने कहा कि “यह एक मानवीय त्रासदी है और इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। इसे निजी मुद्दा मत बनाइए।”
सिब्बल ने कहा कि डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत नेशनल एग्जीक्यूटिव कमेटी द्वारा एक नेशनल प्लान तैयार किया जाना चाहिए। जिसे एनडीएमए द्वारा अप्रूवल मिले। इसके तहत जरुरतमंदों को आश्रय, खाना, पीने का पानी, मेडिकल कवर, साफ-सफाई की व्यवस्था की जानी चाहिए, लेकिन अभी तक ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की गई है।