सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली सरकार को बड़ा झटका लगा है। सर्वोच्च अदालत ने दो टूक कहा है कि एमसीडी में एल्डरमैन नियुक्त करने के लिए एलजी को मंत्रियों से सलाह लेने की कोई जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला साफ कहता है कि एल्डरमैन नियुक्त करने के लिए एलजी पूरी तरह स्वतंत्र है। बड़ी बात यह है कि इस फैसले की उम्मीद जानकार नहीं कर रहे थे बल्कि माना जा रहा था कि आदेश तो सरकार के पक्ष में जा सकता है।

कोर्ट ने क्या कहा?

इसका कारण यह है कि पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ऐसा कहा था कि मंत्रियों की सलाह लेना जरूरी है, लोकतंत्र का यह अहम हिस्सा है। लेकिन अब कोर्ट ने साफ कर दिया है कि कोई सलाह की जरूरत नहीं है, अगर एल्डरमैन नियुक्त करना है तो वो एलजी खुद कर सकते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि जब एलजी ने 10 एल्डरमैन नियुक्त किए थे, आम आदमी पार्टी सरकार का आरोप था कि सारे नेता बीजेपी से जुड़े हुए हैं, ऐसे में एमसीडी चुनाव में हार के बाद भी सत्ता हासिल करने की साजिश हो रही है।

एल्डरमैन की नियुक्ति को लेकर दिल्ली सरकार और एलजी के बीच क्या है विवाद?

विवाद क्या है?

इन्हीं तर्कों के साथ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था। आम आदमी पार्टी का कहना था कि एलजी ने बिना मंत्रियों की सलाह लिए उन लोगों को चुना जो बीजेपी से जुड़े हुए हैं। लेकिन कोर्ट ने इस मोर्चे पर दिल्ली सरकार को बड़ा झटका दिया है। अब जानकारी के लिए बता दें कि जनवरी 2023 में एलजी सक्सेना ने दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 द्वारा उन्हें दी गई शक्तियों के तहत एमसीडी में 10 एल्डरमैन (नामांकित सदस्यों) को नियुक्त किया था। अधिनियम प्रशासक (उपराज्यपाल) को नगर निगम में विशेष ज्ञान या अनुभव वाले लोगों को नियुक्त करने का आदेश देता है।

एमसीडी चुनाव के नतीजे

यह नियुक्तियां दिसंबर 2022 के एमसीडी चुनावों के कुछ दिनों बाद हुईं थीं जिसमें आप ने भाजपा को हराया था, जो 15 सालों से एमसीडी पर शासन कर रही थी। चुनाव में आप ने 250 सदस्यीय एमसीडी में भाजपा की 104 सीटों के मुकाबले 134 सीटें जीतीं थीं। उस एक हार के बाद से ही आम आदमी पार्टी का दावा था कि बीजेपी किसी तरह से फिर एमसीडी पर कब्जा करना चाहती है।