सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश यू यू ललित ने जजों के अदालत आने को लेकर अहम टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि अगर सुबह सात बजे बच्चे स्कूल जा सकते हैं तो जज और वकील नौ बजे अपना काम क्यों नहीं शुरू कर सकते। दरअसल जस्टिस उदय यू ललित ने शुक्रवार को सामान्य समय से एक घंटे पहले मामलों की सुनवाई शुरू की थी। ऐसे में उन्होंने यह टिप्पणी की।

गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय बेंच साढ़े दस बजे असेंबल होती है और उसके बाद लिस्टेड मामलों की सुनवाई होती है। यह चार बजे तक चलती है। इस दौरान एक से दो बजे लंच ब्रेक होता है। लेकिन इस प्रैक्टिस के विपरीत शुक्रवार को जस्टिस ललित ने साढ़े नौ बजे केस की सुनवाई शुरू की। उनकी बेंच में जस्टिस एस रविंद्र भट और सुधांशु धूलिया भी हैं।

जमानत मामले में पेश हुए पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने पीठ के समय से पहले सुनवाई के लिए बैठने की सराहना की। उन्होंने कहा, “मुझे कहना होगा कि 9.30 का यह समय अदालतें शुरू करने का अधिक उचित समय है।” इसपर जस्टिस ललित ने कहा, “मेरा हमेशा से मानना रहा है कि अदालत को जल्दी काम शुरू करना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “आदर्श रूप से, हमें सुबह 9 बजे बैठना चाहिए। क्योंकि अगर हमारे बच्चे सुबह 7 बजे स्कूल जा सकते हैं, तो फिर हम 9 बजे कोर्ट क्यों नहीं आ सकते?”

गौरतलब है कि इसी साल अगस्त में जस्टिस यू यू ललित चीफ जस्टिस बनने वाले हैं। सर्वोच्च न्यायालय के मौजूदा मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना के रिटायर होने के बाद जस्टिस ललित 27 अगस्त से 8 नवंबर तक सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रहेंगे। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की बेंच 9 बजे शुरू होनी चाहिए। इसके बाद साढ़े ग्यारह बजे आधे घंटे का ब्रेक हो।

उन्होंने कहा ब्रेक के बाद मामलों की सुनवाई 12 बजे फिर शुरू करके दो बजे तक लंच हो। इससे शाम को ताजा मामलों और जिन मामलों के लिए लंबी सुनवाई की जरूरत है, उन्हें ज्यादा वक्त मिलेगा।