सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली ने बुधवार को एक व्यक्ति के केस को मोबाइल फोन पर सुना। याचिकाकर्ता किसी अधिवक्ता के बजाए अपना पक्ष स्वयं दोनों जजों के सामने रखा। हालांकि सुनवाई के बाद मामले में उसे कोई राहत नहीं मिल सकी। पीठ ने केस को खारिज कर दिया।

याचिकाकर्ता इस साल अपनी बेटी के लिए स्नातक मेडिकल सीटों पर समायोजन की मांग कर रहा था, हालांकि उसकी बेटी राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा 2022 (NEET 2022) में शामिल नहीं हुई थी। वह कर्मचारी राज्य बीमा निगम संस्थान में बीमित व्यक्ति कोटे के तहत प्रवेश की मांग कर रहा था।

पीठ ने टेलीफोन के माध्यम से उसकी बात सुनने के बाद कहा कि वह कोई राहत नहीं दे सकती, क्योंकि आपकी बेटी एनईईटी के लिए उपस्थित नहीं हुई थी। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “अगर आप इस साल परीक्षा में नहीं बैठे हैं, तो हम सीट नहीं दे सकते। कोई सीट नहीं है।” जस्टिस हिमा कोहली ने भी ऐसा ही कहा। उन्होंने कहा, “मैम हम इस तरह से प्रवेश नहीं दे सकते, इससे मुकदमेबाजी की बाढ़ आ जाएगी। आप परीक्षा में नहीं बैठी है।”

पीठ ने कहा- हम नहीं दे सकते हैं राहत

हालांकि पीठ ने याचिकाकर्ता को नीट में शामिल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट या संबंधित उच्च न्यायालय में जाने की छूट दी है। पीठ ने कहा कि जब परीक्षा में ही नहीं बैठी हैं, तब राहत का सवाल ही नहीं उठता है।

उधर, उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार की विधायी एवं कार्यकारी शक्तियों के दायरे से संबंधित विधायी मुद्दे पर पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ की सुनवाई टाल दी है। न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर सुनवाई की तारीख को आगे बढ़ा दिया।

मेहता ने कहा कि वह विदेश यात्रा के कारण नौ नवंबर को उपलब्ध नहीं रहेंगे। पीठ ने इसके बाद मामले में आगे की सुनवाई की तारीख 24 नवंबर तय की। शीर्ष अदालत ने 27 सितंबर को कहा था कि न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में एक संविधान पीठ मामले में नौ नवंबर से दैनिक आधार पर सुनवाई शुरू करेगी।