सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट द्वारा ट्रायल कोर्ट को एक क्रिमिनल केस से जुड़े मामले में एक साल के अंदर ट्रायल पूरा करने के आदेश पर हैरानी जताई। लाइव लॉ की खबर के मुताबिक, पटना हाई कोर्ट द्वारा ट्रायल कोर्ट्स में पेंडिंग मामलों संख्या पर विचार किए बिना दिए आदेश पर हैरानी जताई।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ” 28 फरवरी 2024 को बेल एप्लिकेशन रिजेक्ट करते हुए हाई कोर्ट ने निर्देश दिया कि ट्रायल एक साल के अंदर पूरा होना चाहिए। हमें इस बात पर हैरानी हुई कि हाई कोर्ट बार एसोसिएशन, इलाहाबाद vs उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य (2024) INSC 150 के मामले में कॉन्स्टिट्यूशन बेंच के फैसले के बावजूद, हाई कोर्ट इस बात पर विचार किए बिना ऐसे निर्देश जारी कर रहे हैं कि बिहार राज्य के हर क्रिमिनल कोर्ट में बड़ी संख्या में मामले पेंडिंग होंगे।”
लॉइव लॉ की रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि जस्टिस अभय ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच बेल रिजेक्ट करने के हाई कोर्ट के निर्देश के खिलाफ SLP पर विचार कर रही थी। हाई कोर्ट के आदेश पर अपील करने वाले के खिलाफ IPC की धारा 406, 419, 420, 467, 468, 471, 120बी और आईटी एक्ट की धारा 66 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
प्रॉसिक्यूशन के दावे के अनुसार, किऊल रेलवे स्टेशन पर पुलिस द्वारा पकड़े गए एक सह-आरोपी ने अपने गैंग के बारे में जानकारी दी और बताया कि वे साइबर क्राइम कर रहे हैं। प्रॉसिक्यूशन ने यह भी दावा किया कि अन्य सह-आरोपी भी पकड़े जा चुके हैं और उनके पास से कई मोबाइल फोन, सिम कार्ड और एटीएम कार्ड बरामद हुए थे। यह भी दावा किया गया कि अपील करने वाला कथित क्राइम को अंजाम दे रहे गैंग का सरगना है।
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा?
लाइव लॉ की खबर के अनुसार, 28 फरवरी 2024 को इस मामले में जमानत याचिका खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि वो एक साल के अंदर ट्रायल खत्म करे। इस दौरान हाई कोर्ट ने आरोपी को यह छूट दी कि अगर एक साल में ट्रायल पूरा नहीं होता है तो वह ट्रायल कोर्ट में जमानत के लिए दोबारा आवेदन कर सकता है। मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस अभय ओका ने कहा, “किस तरह के आदेश हाई कोर्ट्स पास कर रहे हैं? एक साल में तय करो, यह कॉन्स्टिट्यूशन बेंच के फैसले के विपरीत है।”
…हमें यह आदेश देने वाला हाई कोर्ट कौन होता है, जब वकील पर भड़के NCLAT के जज
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि आरोपी के लगाए गए सभी आरोपों की सुनवाई ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है। कोर्ट ने पाया कि ट्रायल में लंबा समय लगेगा और साथ ही इस बात पर जोर दिया कि जो कुछ भी जब्त किया जाना था, वह पहले ही जब्त किया जा चुका है।
इस दौरान राज्य की तरफ से तर्क दिया गया कि आरोपी एक आदतन अपराधी है। उसके खिलाफ चार और भी मामले चल रहे हैं और उसके भागने का भी खतरा है। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि केस ‘स्टेज ऑफ अपीयरेंस’ की स्टेज में है और आरोपी के खिलाफ चल रहे तीन मामलों में उसे जमानत मिल चुकी है। यह देखते हुए कि आरोपी 24 जून 2023 से हिरासत में है, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपील करने वाले ने बेल के लिए मामला बनाया है। कोर्ट ने उसे आदेश दिया कि वो हफ्ते के अंदर ट्रायल कोर्ट के सामने पेश हो ताकि बेल पर उसकी रिहाई के लिए उचित शर्तें तय की जा सकें।