सुप्रीम कोर्ट के फैसले अब अंग्रेजी के अलावा 6 क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़े जा सकेंगे। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) रंजन गोगोई ने बुधवार (3 जुलाई 2019) को इसके लिए मंजूरी दे दी। इस फैसले के बाद हिंदी, तेलुगु, असमी, कन्नड़, मराठी और उड़िया में कोर्ट के फैसलों को पढ़ा जा सकेगा।

इस महीने के आखिरी में कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर इन भाषाओं में फैसले प्रदर्शित किए जाएंगे। मालूम हो कि 2017 में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कोच्चि में एक कॉन्फ्रेंस के दौरान क्षेत्रीय भाषाओं में कोर्ट के फैसलों के अनुवाद की जरूरत पर जोर दिया था। तभी से इस मुद्दे पर जोर दिया जाने लगा। कई राज्यों ने इसकी मांग भी रखी।

फैसलों को क्षेत्रीय भाषाओं में जारी करने से उन लोगों को मदद मिलेगी जो अंग्रेजी में दक्ष नहीं हैं और उन्हें इसे पढ़ने के लिए वकील की जरूरत पड़ती है। इन भाषाओं का चयन राज्यों से आए आवेदनों के आधार पर किया गया है। शुरुआती चरण में 6 भाषाओं को चुना गया है आने वाले समय में और भी भाषाओं को इसमें शामिल किया जाएगा।

रजिस्ट्री से जुड़े एक अधिकारी ने बताया ‘सुप्रीम कोर्ट के फैसले अंग्रेजी भाषा में जज के फैसला सुनाने के बाद वेबसाइट पर अपलोड कर दिए जाते हैं लेकिन क्षेत्रीय भाषाओं में ये फैसले एक हफ्ते बाद ही अपलोड किए जाएंगे।’

स्टालिन हुए खफा: तमिल भाषा को इसमें शामिल न करने पर द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के प्रेसिडेंट एमके स्टालिन ने नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि तमिल भाषा को सूची में न देखकर निराश हूं। उन्होंने कहा कि तमिल देश की आधिकारिक भाषाओं में से एक है और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों का तमिल में अनुवाद करने से तमिलनाडु के लोगों को काफी मदद मिलेगी। यह भारत के सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है। मैं सीजेआई से अनुरोध करता हूं कि वह तमिल को भी इस सूची में शामिल करें।