सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को एक वकील को हिदायत देते हुए कहा कि कश्मीर हमेशा से देश का हिस्सा है। कोर्ट में वकील ने दलील देते हुए कहा कि अगस्त 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त करने के बाद कश्मीर देश का हिस्सा बन गया। इस पर कोर्ट ने उन्हें टोकते हुए कहा कि कश्मीर हमेशा से देश का अंग था।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों को फिर से तैयार करने के लिए परिसीमन आयोग के गठन के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था। जस्टिस संजय किशन कौल (Justice Sanjay Kishan Kaul) और जस्टिस एमएस सुंदरेश (Justice MM Sundresh) की बेंच इस याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

कोर्ट ने केंद्र और निर्वाचन आयोग (Election Commission) को नोटिस जारी कर छह हफ्ते में जवाब मांगा है। दोनों याचिकाकर्ताओं हाजी अब्दुल गनी खान और डॉ. मोहम्मद अयुब मट्टू की तरफ से पेश वकील ने कहा कि संविधान के प्रावधानों के विपरीत परिसीमन प्रक्रिया चलाई गई। कोर्ट ने कहा कि परिसीमन आयोग कुछ समय पहले गठित किया गया था, उस वक्त आयोग के गठन को चुनौती क्यों नहीं दी गई।

अधिवक्ता ने कहा कि परिसीमन आदेश के मुताबिक, सिर्फ चुनाव आयोग ही सीमा में बदलाव कर सकता है। पीठ ने अधिवक्ता को उचित शब्दों के चयन की हिदायत दी और कहा कि कश्मीर हमेशा से भारत का हिस्सा था, सिर्फ एक विशेष प्रावधान हटाया गया है।

इस मामले में अगली सुनवाई अब 30 अगस्त को होगी। याचिका में यह घोषणा करने की मांग की गई कि जम्मू-कश्मीर में सीट की संख्या 107 से बढ़ाकर 114 (पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में 24 सीटों सहित) करना संवैधानिक प्रावधानों जैसे कि अनुच्छेद 81, 82, 170, 330 और 332 का अतिक्रमण है। खासतौर से जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा के तहत।