CAA Row Highlights: Bhim Army के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने बुधवार को कहा कि देश में अगले 10 दिनों में शाहीन बाग की तरह 5,000 और प्रदर्शन स्थल होंगे। आजाद सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहीं महिलाओं को अपना समर्थन देने के लिए दक्षिण दिल्ली में स्थित शाहीन बाग पहुंचे।
उपस्थित भारी भीड़ को संबोधित करते हुए दलित नेता ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) ‘‘काला कानून’’ है जो लोगों को धार्मिक आधार पर बांट रहा है। एक महीने से ज्यादा समय से सीएए के खिलाफ धरना दे रही महिलाओं से उन्होंने कहा , ‘‘मैं इस प्रदर्शन में हिस्सा लेने वालों को बधाई देना चाहूंगा। यह महज एक राजनीतिक आंदोलन नहीं है । हमें संविधान और देश की एकता को बचाना है।’’
आजाद ने कहा कि हाड़ कंपा देने वाली ठंड भी इन महिलाओं के हौसले को तोड़ नहीं पायी। आजाद के पहुंचने के पहले प्रदर्शनकारी फैज अहमद फैज की नज्म ‘हम देखेंगे’ गा रहे थे। संविधान थामे हुए आजाद ने कहा, ‘‘मैं आपसे वादा करता हूं अगले 10 दिनों में देश भर में कम से कम 5,000 और शाहीन बाग होंगे।’’


उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कांग्रेस और विपक्षी दलों पर नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर झूठ फैलाने और देश को गुमराह करने का आरोप लगाया है। मौर्य ने रायपुर में सीएए के समर्थन में जन जागरूकता सभा को संबोधित करते हुए कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए नौ फरवरी के आसपास ट्रस्ट बना लिया जाएगा तथा इसके बाद मंदिर का निर्माण जल्द प्रारंभ होगा।
सभा को संबोधित करते हुए मौर्य ने सीएए को लेकर कहा कि देश में झूठ के माध्यम से ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि लोगों की नागरिकता छीनने के लिए सीएए लाया गया है। कांग्रेस यह झूठ फैला रही है और लोगों को गुमराह कर रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और उनका गिरोह इस कानून का विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वह जम्मू कश्मीर से धारा 370 समाप्त करने और तीन तलाक को लेकर बनाए गए काननू को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस चीफ ममता बनर्जी ने दार्जिलिंग हिल्स में बुधवार को CAA के खिलाफ चार किमी लंबे मार्च का नेतृत्व किया। उन्होंने इस दौरान रैली में कहा, "केंद्र सरकार सिर्फ गैर भाजपा शासित राज्यों में सीएए को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है।"
वह आगे बोलीं- अमित शाह को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या किसी व्यक्ति को पहले विदेशी घोषित किया जाएगा और उसके बाद उसे सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन की अनुमति होगी। भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार के भय से बंगाल को छोड़कर सभी राज्य नई दिल्ली में एनपीआर को लेकर हुई बैठक में शामिल हुए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। साथ ही संकेत दिया कि वह इस मामले की सुनवाई के लिए पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ का गठन करेगा।
सीजेआई एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने 143 याचिकाओं की सुनवाई करते हुए केंद्र को जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया था। इसने सभी उच्च न्यायालयों को सीएए से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करने से संबंधित याचिकाओं पर निर्णय लेने पर रोक लगा दी है।
देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने बुधवार को कहा कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर उच्चतम न्यायालय की ओर से स्थगन का कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया जाना निराशाजनक है।
सीएए-एनआरसी-एनपीआर के विरोध में दक्षिण गोवा के मडगांव शहर में शुक्रवार को गोवा गिरजाघर एवं अन्य संगठनों की सार्वजनिक सभा करने की योजना है। काउंसिल फॉर सोशल जस्टिस एंड पीस (सीएसजेपी) के एक पदाधिकारी ने मडगांव में बुधवार को पत्रकारों से कहा कि गोवा चर्च की शाखा सीएसजेपी, नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स आॅर्गेनाइजेशन (एनसीएचआरओ) और कंसर्न्ड सिटिजंस फॉर गोवा लोहिया मैदान में सभा का आयोजन करेंगे।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी 30 जनवरी को वायनाड के कलपेटा में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) विरोधी एक रैली का नेतृत्व करेंगे। गांधी वायनाड से सांसद हैं। उनके द्वारा राज्य का एक दिन का दौरा किए जाने की उम्मीद है। सूत्रों ने बताया कि गांधी के कार्यक्रम को आज रात तक अंतिम रूप दिया जाएगा।
बसपा अध्यक्ष मायावती ने बुधवार को संशोधित नागरिकता कÞानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के मुद्दे पर बहस करने की सत्तापक्ष की चुनौती को स्वीकार करते हुए कहा है कि उनकी पार्टी सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर किसी भी मंच पर बहस करने को तैयार है।
पिछले साल दिसंबर महीने में संसद के शीतकालीन सत्र में इस बिल को मंजूरी दिए जाने के बाद पूरे देश में प्रदर्शन चल रहे हैं। पहले असम में हिंसक प्रदर्शन हुआ और फिर पूरे देश में यह फैल गया। दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में हजारों की संख्या में महिलाएं और पुरुष लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे हैं। बिहार, बंगाल, केरल सहित देश के विभिन्न हिस्सों में इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है। इस प्रदर्शन के दौरान अब तक पूरे देश में 26 लोगों की मौत हो चुकी है।
दिसंबर महीने में शीर्ष अदालत ने केंद्र को नोटिस जारी किया। अदालत ने जनवरी में कानून के खिलाफ एक जरूरी सुनवाई से इनकार कर दिया था, और कहा था कि "देश कठिन समय से गुजर रहा है।" CJI ने कहा, "अदालत का काम एक कानून की वैधता निर्धारित करना है और इसे संवैधानिक घोषित नहीं करना है।"
आईयूएमएल ने अपनी याचिका में कहा कि सीएए बराबरी के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है और इसका मकसद धर्म के आधार पर लोगों को बाहर कर अवैध शरणार्थियों के एक वर्ग को नागरिकता देना है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि यह कानून संविधान के तहत दिए गए मौलिक अधिकारों पर ‘‘कठोर हमला’’ है। राजद नेता मनोज झा, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए कई याचिकाएं दायर की हैं।
न्यायालय ने कहा कि वह इस मामले पर केंद्र को सुने बगैर सीएए पर कोई रोक नहीं लगाएगा। सीएए में 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा अफगानिस्तान से आए हिंदू सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन और पारसी समुदायों के शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 दिसंबर 2019 को नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी जिससे उसने कानून की शक्ल ले ली।
अन्य याचिकाकर्ताओं में मुस्लिम संस्था जमीयत उलेमा-ए-हिंद, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू), पीस पार्टी, भाकपा, एनजीओ ‘रिहाई मंच’ और सिटिजंस एगेंस्ट हेट, वकील एम एल शर्मा और कानून के छात्र शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीएए का विरोध कर रहे याचिकाकर्ताओं को किसी भी तरह की अंतरिम राहत देने संबंधी आदेश चार हफ्ते बाद ही जारी किया जाएगा।
याचिकाओं में कहा गया है कि सीएए संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है और गैरकानूनी है। कुछ याचिकाओं में 10 जनवरी से लागू कानून को वापस लेने की भी मांग की गई है। याचिकाकर्ताओं में कांग्रेस सांसद जयराम रमेश, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग और इसके सांसद, लोकसभा सांसद और एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन और ट्राइबल रॉयल स्कोनियन प्रद्योत किशोर देब बर्मन शामिल हैं।
सुनवाई के दौरान, अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने केंद्र की तरफ से बहस करते हुए कहा कि सरकार को 143 दलीलों में से केवल 60 की प्रतियां दी गई थीं और इसलिए जवाब देने के लिए अधिक समय की आवश्यकता थी। सीजेआई बोबडे ने कहा कि अदालत इस मामले को संविधान पीठ को सौंप सकती है। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी, कपिल सिब्बल ने अदालत से सीएए के पर रोक लगाने और एनपीआर की प्रक्रिया को फिलहाल स्थगित करने का अनुरोध किया।
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि सीएए से जुड़े किसी मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में नहीं होगी। साथ ही असम और त्रिपुरा पर केंद्र को दो हफ्तों में जवाब देने का आदेश दिया गया है।
अभिषेक मनु सिंघवी की बात को आगे बढ़ाते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सीके विश्वनाथन ने कहा, "लोगों को संदिग्ध के रूप में चिह्नित करने के लिए वास्तव में कोई नियम नहीं है। ऐसे में मतदाता सूची में गड़बड़ी की जा सकती है। लोगों को मतदाता सूची से बाहर किया जा सकता है।"
वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने उत्तर प्रदेश का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि यूपी में कई घरों को पहले से ही संदिग्ध स्थिति में संकेत देने के लिए चिह्नित किया गया है। सिब्बल कहते हैं कि ये लोग मतदान का अधिकार खो सकते हैं। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार सिंघवी ने कहा, "40 लाख लोगों को संदिग्ध रूप से चिह्नित किया गया है। यह यूपी के 19 जिलों में हुआ है। मतदान करने का उनका अधिकार खो सकता है। कृपया इस प्रक्रिया को पर रोक लगाएं। यह हमारा अनुरोध है। इससे बहुत सारी अराजकता और असुरक्षा को रोका जा सकेगा।"
असम मुद्दे को उठाने वाले याचिकाकर्ताओं के एक समूह ने सुनवाई के लिए एक और नोटिस जारी करने की मांग की। उन्होने कहा कि सीएए के सामान्य मामले और असम में कानून के विषय में अंतरिम आदेशों के उद्देश्य के लिए अलग तरह से देखा जाना चाहिए। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार सीजेआई दो सप्ताह के बाद असम याचिकाओं को अलग से सूचीबद्ध करने के लिए सहमत है।
वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी ने कहा कि कई राज्यों ने एनपीआर प्रक्रिया शुरू की है। वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने एक अंतरिम आदेश जारी करने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह कानून असम समझौते का उल्लंघन करता है।
कोर्ट ने केंद्र सरकार को सभी 143 याचिकाओं पर जवाब देने के लिए कहा है। इसके लिए कोर्ट ने सरकार को चार सप्ताह का समय दिया है।
सीजेआई एसए बोवडे ने कोर्ट रूम की स्थिति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले को संभवत: संविधान पीठ को भेजा जाना चाहिए।
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने याचिकाकर्ताओं की तरफ से बहस करते हुए कहा कि एनपीआर प्रक्रिया अप्रैल में शुरू होगी और कई राज्यों ने पहले ही डॉक्यूमेंटेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह कहते हुए कि एक बार दी गई नागरिकता को बदला नहीं जा सकता है, सिब्बल अदालत से नजदीक की तारीख देने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा, "कृपया (एनपीआर) प्रक्रिया को 3 महीने के लिए स्थगित कर दें। इस बीच, आपका फैसला हो सकता है।"
सुप्रीम कोर्ट ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) की संवैधानिक वैधता को परखने का आग्रह करने वाली याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई की। कोर्ट ने सीएए पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया है।
पिछले साल दिसंबर महीने में संसद के शीतकालीन सत्र में इस बिल को मंजूरी दिए जाने के बाद पूरे देश में प्रदर्शन चल रहे हैं। पहले असम में हिंसक प्रदर्शन हुआ और फिर पूरे देश में यह फैल गया। दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में हजारों की संख्या में महिलाएं और पुरुष लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे हैं। बिहार, बंगाल, केरल सहित देश के विभिन्न हिस्सों में इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है। इस प्रदर्शन के दौरान अब तक पूरे देश में 26 लोगों की मौत हो चुकी है।
इन याचिकाओं में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) और कांग्रेस नेता जयराम रमेश की याचिकाएं भी शामिल हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 दिसंबर को नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 को मंजूरी दी थी जिससे यह कानून बन गया था।
सुप्रीम कोर्ट संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) की संवैधानिक वैधता को परखने का आग्रह करने वाली याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई कर रही है। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर तथा न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने केंद्र को विभिन्न याचिकाओं पर नोटिस जारी किया था और पीठ करीब याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।