Supreme Court Minor Custody: सुप्रीम कोर्ट ने हाल में एक पिता को उसकी 8 साल की बच्ची की कस्टडी देने से इनकार कर दिया क्योंकि वो अपनी बेटी को घर का खाना खिलाने में विफल साबित हुआ था। इसके साथ ही कोर्ट ने 11 दिसंबर 2024 के हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया है। केरल हाई कोर्ट ने को मां-पिता दोनों को ही महीने के 15-15 दिन बच्ची की कस्टडी देने का फैसला सुनाया था।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस संदीप मेहता, विक्रम नाथ और संजय करोल की बेंच ने पिता को अपनी बेटी और दो साल के बेटे से हफ्ते में एक-एक दिन मिलने की अनुमति दे दी। इसके अलावा हर मंगलवार और गुरुवार को पिता अपने बच्चों से 15-15 मिनट की वीडियो कॉल भी कर सकेंगे।
‘रेस्तरां के खाने से हो सकता है स्वास्थ्य को नुकसान’
जस्टिस मेहता द्वारा लिखे गए फैसले में कहा गया कि रेस्तरां/होटल से खरीदा गया खाना एक वयस्कर व्यक्ति के लिए खतरा पैदा कर सकता है तो छोटे बच्चे की तो क्या ही बात करें। बच्चे को निश्चित रूप से उसके समग्र स्वास्थ्य, वृद्धि और विकास के लिए पौष्टिक घर का बना भोजन चाहिए। दुर्भाग्य से, पिता बच्चे को ऐसा पोषण प्रदान करने की स्थिति में नहीं है।
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मां को कस्टडी देने को लेकर कोर्ट ने क्या कहा?
इतना ही नही, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि पिता अपनी नौकरी के कारण बच्चों के साथ ज्यादा समय नहीं बिता पाएंगे। कोर्ट ने कहा कि दूसरी ओर मां के साथ उसके भी माता पिता रहते हैं। उन्हें घर से काम करने की सुविधा भी मिली हुई है। लड़की का छोटा भाई भी उसके साथ ही होगा। इसलिए मां के घर पर बच्चे को मिलने वाला भावनात्मक और नैतिक सपोर्ट पिता से कहीं ज्यादा है।
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2014 में हुई थी शादी और कलह की वजह से हुए अलग
कोर्ट ने कहा कि पिता अपने बेटे से सप्ताह के किसी भी दिन चार घंटे के लिए मिल सकता है। उसे निर्देश दिया गया कि बच्चों के साथ रहते हुए घर का बना खाना सुनिश्चित करे। बता दे कि बच्चों के माता-पिता की शादी 2014 में हुई थी। पारिवारिक कलह के बाद दोनों अलग रहने लगे हैं। बेटे के जन्म के बाद उन्होंने सुलह करने की कोशिश की।
जानकारी के मुताबिक पिता सिंगापुर में एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में जनरल मैनेजर के पद पर काम करते हैं, जबकि महिला केरल के तिरुवनंतपुरम में एक आईटी कंपनी में कर्मचारी हैं। जून 2024 में महिला ने स्थायी हिरासत के लिए पारिवारिक न्यायालय का रुख किया था, क्योंकि उसे लगा कि पति जबरन बच्ची की हिरासत अपने हाथ में ले लेगा। अंतरिम आदेश में पारिवारिक न्यायालय ने उसे हर दूसरे शनिवार को अपने परिसर में साढ़े तीन घंटे के लिए अपने बच्चों से मिलने की अनुमति दी।