सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पटना हाईकोर्ट के आदेश पर हैरानी जताई है। पटना हाईकोर्ट ने हत्यारोपित आरोपी को जमानत दे दी, लेकिन इसमें एक शर्त यह रखी गई कि वह 6 महीने बाद रिहा होगा। इस फैसले को याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जस्टिस अभय ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइंया की बेंच ने आरोपी जितेंद्र पासवान को हाईकोर्ट के आदेश की शर्तों के आधार पर अंतरिम जमानत दे दी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा यह अजीब बात है कि हाईकोर्ट ने कहा कि जमानत देने का आदेश 6 महीने के बाद लागू होगा। बेंच ने कहा कि हम उन शर्तों के आधार पर जमानत देते हैं जिसका उल्लेख विवादित आदेश के पैराग्राफ 9 में किया गया है।
कोर्ट ने कहा कि यह किस तरह का आदेश
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस अभय ओका ने कहा कि पटना हाईकोर्ट का यह आदेश बेहद ही अजीबो गरीब है। कुछ कोर्ट 6 महीने या 1 साल के लिए जमानत दे रही हैं। अब यह एक अलग ही तरह का आदेश है। कोर्ट ने कहा कि वह जमानत पाने का अधिकारी है, लेकिन उसे छह महीने बार छोड़ा जाना चाहिए। आरोपी के वकील ने तर्क दिया कि इस शर्त के लिए कोई कारण नहीं दिया, जिससे जमानत पूरी तरह भ्रामक हो गई है।
पटना हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत देते हुए विवादित आदेश पारित किया। इसमें आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 341, 323, 324, 326, 307 और 302 के तहत मामले में आरोपी बनाया। पासवान समेत 19 नामजद आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। इसमें कथित तौर पर मुखबिर और उसके परिवार पर अटैक किया गया। यह उस समय किया गया जब आरोपी ने उनके खेत को जोतने के लिए साफ इनकार कर दिया। खासतौर पर यह आरोप लगाया गया कि पासवान के उकसावे पर दूसरे आरोपियों ने मुखबिर के परिवार पर हमला किया।
पटना हाईकोर्ट ने आरोपी को दी जमानत
पटना हाईकोर्ट ने आदेश की तारीख से 6 महीने की जमानत जितेंद्र पासवान को दी। इसमें 30 हजार रुपये का जमानत बांड और दो जमानतदार शामिल हैं। जमानत देने के साथ कई शर्तें भी लगाई गई हैं। शर्तों की बात करें तो इसमें नियमित तौर पर कोर्ट में पेश होना, पुलिस स्टेशन में हर महीने उपस्थिति और सबूतों के साथ छेड़छाड़ या आगे कोई क्राइम करने पर रोक है।