भारत के पूर्व चीफ जस्टिस और मौजूदा राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई ने राजद्रोह कानून पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को लेकर बयान दिया है। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा है कि उन्हें नहीं लगता कि मौजूदा सीजेआई (एनवी रमन) ने ऐसा कहा है कि राजद्रोह कानून को खत्म करना चाहिए। उन्होंने अपनी राय देते हुए कहा कि इसे रद्द करने की जरूरत नहीं है और सुप्रीम कोर्ट पहले ही तीन बार अपने फैसलों में बहुत ही स्पष्ट तौर पर बताया है कि 124-A के तहत राजद्रोह कानून के पैरामीटर क्या होंगे।
रंजन गोगोई के इस इंटरव्यू को लेकर सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने तंज कसा है। उन्होंने ट्वीट कर पूर्व चीफ जस्टिस पर उनके कार्यकाल के दौरान लगे आरोपों का जिक्र किया और उन्हें भाजपा से जोड़ते हुए निशाना साधा। प्रशांत भूषण ने लिखा, “तो आकिरकार उन्होंने अपने नए सांसद गोगोई (अयोध्या, राफेल और यौन उत्पीड़न के लिए चर्चा में रहने वाले) को राजद्रोह जैसे औपनिवेशिक काल के कानून का बचाव करने के लिए उतार दिया है।”
इंटरव्यू में और क्या बोले थे गोगोई?: मीडिया ग्रुप टाइम्स नाउ को दिए इंटरव्यू में पूर्व सीजेआई ने कहा था कि देश में इस वक्त कानूनों को चुनौती देने की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने यह भी कहा कि कोर्ट किसी कानून के वैध होने का फैसला करते हैं, तो सरकार उनकी जरूरत पर। दोनों की ही भूमिका अलग है। यानी अदालतें सिर्फ कानून की वैधानिकता पर फैसला दे सकती हैं, जबकि इसकी जरूरत पर फैसले का अधिकार सिर्फ सरकार को है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी कानून का गलत इस्तेमाल हो रहा है तो इसे रोकने के लिए अन्य तरीके आजमाए जा सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था- अंग्रेजों के समय के राजद्रोह कानून क्यों नहीं खत्म हुआ: गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में औपनिवेशिक काल के राजद्रोह संबंधी दंडात्मक कानून के भारी दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त की थी और केंद्र से सवाल किया कि स्वतंत्रता संग्राम को दबाने के लिए महात्मा गांधी जैसे लोगों को चुप कराने के लिए ब्रिटेन के शासनकाल में इस्तेमाल के लिए प्रावधान को समाप्त क्यों नहीं किया जा रहा। सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने आईपीसी की धारा- 124ए (राजद्रोह) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक पूर्व मेजर जनरल और ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ की याचिकाओं पर गौर करने पर सहमति जताते हुए कहा कि उसकी मुख्य चिंता कानून का दुरुपयोग है।