सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (5 सितंबर, 2022) को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें केंद्र सरकार को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया था कि चीन के हाथों गंवाई गई भारत की जमीन की सही जानकारी दी जाए। कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ये अदालत का काम नहीं है। इस याचिका पर मुख्य न्यायाधीश यू.यू. ललित और न्यायमूर्ति रवींद्र भट सुनवाई कर रहे थे।
याचिकाकर्ता का कहना है कि सीमा पर भारत और चीन के बीच हुई झड़प में देश की कुछ जमीन चीन के हाथों गंवाई गई है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के मुताबिक, साल 2020 में 14 और 15 जून की रात को गलवन घाटी में दोनों देशों के बीच हुई झड़प में भारतीय जमीन का कोई नुकसान नहीं हुआ था। उन्होंने कहा कि सरकार का यह रुख भारतीय नागरिकों को गुमराह कर रहा है।
इस पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश यू.यू. ललित ने कहा कि यह मामला राज्य की नीति से संबंधित है और इसमें अदालत का कोई काम नहीं है।
उन्होंने कहा कि- “इस तरह के मामले राज्य के हैं… क्षेत्र की सीमा पर झड़पें हो सकती हैं। चाहे क्षेत्र का नुकसान हुआ हो या क्षेत्र का कोई नुकसान नहीं हुआ हो, चाहे वहां से अतिक्रमण हुआ हो। दूसरी तरफ या हम उनके क्षेत्र में आगे बढ़े हों, इसमें अदालत का कोई काम नहीं है।”
याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से भारत सरकार को सीमा पर क्षेत्र के नुकसान के बारे में सही जानकारी देने का निर्देश देने का अनुरोध किया था और तर्क दिया कि “भारत सरकार का आधिकारिक रुख यह है कि उस क्षेत्र में हमारी जमीन का कोई नुकसान नहीं हुआ है। यह न सिर्फ भारत की जनता को गुमराह करता है बल्कि यह जनता को अंधेरे में भी रखता है, जबकि दुश्मन सीमा पर सुरक्षा को और कड़ा कर रहा है। इस तरह की चीजें आने वाली पीढ़ियों के लिए परेशानियां पैदा करती हैं।”