Sharjeel Imam Bail plea: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट से फरवरी 2020 में दिल्ली दंगों के मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तार शरजील इमाम की जमानत याचिका पर जल्द फैसला करने को कहा है। यह करीब 2022 से लंबित है। बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने कहा कि वह इस याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं है। यह जमानत के लिए संविधान के आर्टिकल 32 के तहत सीधे सुप्रीम कोर्ट के सामने दायर की गई है।
हालांकि, बेंच ने दिल्ली हाई कोर्ट से इमाम की जमानत याचिका पर जल्दी फैसला लेने के लिए कहा है। याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के सामने जमानत के लिए याचिका पर जोर नहीं दे रहे हैं। दवे ने कहा, “मैं किसी के खिलाफ कुछ नहीं कह रहा हूं। मैं किसी पर आरोप नहीं लगा रहा हूं। इसे अनुमति दें या अस्वीकार करें, लेकिन कृपया इस पर निर्णय लें।”
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से कहा है कि शरजील की जमानत पर अगली सुनवाई 25 नवंबर को होगी। शरजील के वकील दवे ने कहा कि 64 बार हाई कोर्ट से जमानत याचिका सुनवाई के लिए लिस्ट हो चुकी है। उन्होंने कहा कि मामले के जल्द खत्म होने के कोई भी आसार नहीं है, क्योंकि पुलिस ने अभी तक अपनी जांच पूरी नहीं की है और कोर्ट को 1,000 से ज्यादा गवाहों और लाखों पेजों के कागजातों की जांच करनी है।
कौन है शरजील इमाम
शरजील इमाम पर दिल्ली के जामिया इलाके और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप है। शरजील इमाम बिहार के जहानाबाद का रहने वाला है और उसने IIT बॉम्बे से कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। इसके बाद उसने दो साल तक बेंगलुरु में एक सॉफ्टवेयर कंपनी में डेवेलपर के तौर पर काम किया और फिर 2013 में जेएनयू में आधुनिक इतिहास में मास्टर्स के लिए एडमिशन लिया। यहां से उसने एमफिल और पीएचडी की। शरजील इमाम आइसा में भी दो साल से ज्यादा रहा और आइसा के उम्मीदवार के तौर पर ही काउंसलर पर के लिए 2015 का जेएनयूएसयू का चुनाव लड़ा।