भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने शनिवार को विवादों को सुलझाने के लिए मध्यस्थता की कोशिश को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि मध्यस्थता न्यायिक प्रक्रिया के समय और संसाधनों को बचाने में भी एक अहम योगदान दे सकता है। गुजरात के नर्मदा के एकता नगर में “मध्यस्थता और सूचना प्रौद्योगिकी” पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में बोलते हुए एनवी रमना ने ये बातें कहीं।

वकीलों को मध्यस्थता की अहमियत बताते हुए उन्होंने महाभारत का एक प्रसंग सुनाया। सीजेआई ने कहा कि महाभारत में भगवान कृष्ण ने भी कुरुक्षेत्र में हुए युद्ध को रोकने के लिए मध्यस्थता का प्रयास किया था। अगर वो सफल हो जाते तो महाभारत रोका जा सकता था। सीजेआई ने कहा, “हम सभी उस दौरान मध्यस्थता की कोशिशों के परिणामों को जानते हैं। हम मानते हैं कि अगर भगवान कृष्ण सफल होते तो बहुत लोगों की जान बचाई जा सकती थी।”

अपनी स्पीच में मुख्य न्यायाधीश ने मध्यस्थता को कारगर तरीके से आगे बढ़ाने में अदालतों की भूमिका को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि किसी मामले में मध्यस्थता और बातचीत को अनिवार्य बनाने के लिए अदालतों की तरफ से भी सक्रिय प्रयास किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वकीलों को मुकदमेबाजी से पहले मध्यस्थता के हर पहलुओं पर कोशिश करना चाहिए।

सीजेआई ने कहा कि मध्यस्थता की वजह से न्यायिक संसाधनों को भी बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मुकदमेबाजी से पहले के चरण में मध्यस्थता और बातचीत के जरिए विवादों का निपटारा किया जा सकता है और यह विवाद हल करने के लिए सबसे सशक्त तरीकों में से एक है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कानूनी प्रक्रिया से बाहर निजी मध्यस्थता भी लोगों के बीच आदर्श बन रही है।

बता दें कि यह पहला मौका नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने मध्यस्थता को लेकर जोर दिया है। पिछले साल दिसंबर में उन्होंने हैदराबाद में मध्यस्थता केंद्र के उद्घाटन समारोह में कहा था कि हम मध्यस्थता के माध्यम से विवादों को खत्म कर सकते हैं।

सीजेआई का मानना है कि मध्यस्थता के जरिए लोग कम समय में समाधान पा सकते हैं। ऐसा नहीं करने से लोग कई सालों तक अदालतों के चक्कर काटते हैं। मध्यस्थता का सहारा लेकर समय बर्बाद करने से बचना चाहिए।