Supreme Court: भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने बुधवार, 24 अगस्त को कहा कि इस देश में रिटायर होने वाले लोगों की कोई कीमत नहीं है। बता दें कि सीजेआई एनवी रमना आगामी 24 अगस्त को सेवानिवृत्ति हो रहे हैं। ऐसे में उनकी यह टिप्पणी काफी अहम मानी जा रही है। गौरतलब है कि अपनी विदाई से दो दिन पहले उन्होंने यह टिप्पणी चुनाव पूर्व राजनीतिक दलों द्वारा दिए जाने वाले मुफ्त उपहारों से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान की।
दरअसल बुधवार को मुफ्त उपहारों से जु़ड़े मामले की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि ऐसी कमेटी की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज को करनी चाहिए। सिंह ने कहा, “मैं सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश को जस्टिस (आरएम) लोढ़ा जैसी समिति की अगुवाई करने का सुझाव दे रहा था।” इसपर एनवी रमना ने कहा कि एक व्यक्ति जो सेवानिवृत्त होता है या अपने पेशेवर जीवन से सेवानिवृत्त होने जा रहा है, देश में उसका कोई मूल्य नहीं है।
एनवी रमना:
बता दें कि CJI रमना 17 फरवरी 2014 को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में नियुक्त हुए थे। बाद में 24 अप्रैल, 2021 को वे देश की सर्वोच्च अदालत के मुख्य न्यायाधीश बने। वहीं अब वे 26 अगस्त को पद से सेवानिवृत्त होंगे। उनके रिटायरमेंट के बाद जस्टिस यूयू ललित देश के अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे।
अपने उत्तराधिकारी के तौर पर यूयू ललित के नाम की सिफारिश चीफ जस्टिस एनवी रमना ने की है। जस्टिस यूयू ललित भारत के 49वें मुख्य न्यायाधीश होंगे। वरिष्ठता क्रम को देखते हुए जस्टिस यूयू ललित ही मुख्य न्यायधीश बनने की रेस में आगे थे। बता दें कि देश के सामाजिक व्यवस्था पर अहम प्रभाव डालने वाले तीन तलाक जैसे अहम फैसले देने वाली बेंच का हिस्सा जस्टिस यूयू ललित भी रहे हैं।
बता दें न्यायाधीश यूयू ललित देश के दूसरे ऐसे सीजेआई होंगे जिन्हें बार काउंसिल से आकर चीफ जस्टिस बनने का मौका मिला। इससे पहले 1964 में जस्टिस एस.एम सीकरी को बार काउंसिल से निकलकर प्रधान जज बनने का मौका मिला था।