सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने हाल ही में बताया कि फैसले लेते समय जजों को किस बात का ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि जजों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें मॉरेलिटी से प्रभावित हुए बिना कानूनी फैसले लेने चाहिए।
भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि जजों से संवैधानिक और कानूनी फैसले करते समय नैतिकता से अप्रभावित होकर काम करने की अपेक्षा की जाती है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने बुधवार को भूटान में ‘भूटान डिस्टिंग्विश्ड स्पीकर्स’ फोरम को संबोधित किया। इस दौरान प्रधान न्यायाधीश ने न्यायपालिका की विश्वसनीयता और अदालतों में संस्थागत विश्वास के विषय पर भी अपनी बात रखी।
CJI ने जनता के भरोसे पर दिया ज़ोर
सीजेआई ने कहा कि न्यायालयों में संस्थागत विश्वास और उनकी विश्वसनीयता ही एक समृद्ध संवैधानिक व्यवस्था का आधार है और कोर्ट सीधे तौर पर लोगों के ट्रस्टी के रूप में संसाधनों को अपने पास नहीं रखते हैं। CJI चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘न्यायिक शाखा की विश्वसनीयता के लिए जनता का भरोसा बहुत जरूरी है, जो अन्यथा अपने कामकाज में जनता की राय से अलग रहती है, जैसा कि होना भी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट को इस बात पर गर्व है कि वह जनता की अदालत है।’’
डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायपालिका ने कई मौकों पर सरकार के अन्य अंगों द्वारा अनुबंधों और प्राकृतिक संसाधनों जैसे राज्य के उदारतापूर्ण वितरण की निष्पक्षता पर सवाल उठाया है। राजनीतिक कार्यपालिका और न्यायपालिका की भूमिका के बीच अंतर बताते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि निचली अदालत के स्तर पर न्यायिक अधिकारियों को अपने निर्णयों की लोकप्रियता से अलग हटकर कानून को अक्षरश: लागू करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
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सीजेआई चंद्रचूड़ ने अदालतों में पारदर्शिता के महत्व पर जोर दिया
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने अदालतों में पारदर्शिता के महत्व पर जोर दिया और भारत में जनहित याचिका की अवधारणा का उल्लेख किया। उन्होंने अदालतों में प्रत्यक्ष और वर्चुअल यानी मिश्रित तरीके से सुनवाई का भी जिक्र किया और कहा कि कोविड-19 के समय लॉकडाउन से निपटने के लिए यह व्यवस्था लागू की गई थी और अब ये भारतीय अदालतों की एक विशेषता बन गई है।
(इनपुट- भाषा)