कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट से जुड़ी एक याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें दावा किया गया था कि कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल के बाद इंसानों को हार्ट अटैक का सामना करना पड़ रहा है। इस मामले को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगवाई वाली बेंच ने सुना। जस्टिस जेबी पादरीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी बेंच शामिल थे।
बेंच ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह सिर्फ सनसनी फैलाने के लिए है। उन्होंने कहा कि हमें उस स्थिति के बारे में भी सोचना चाहिए कि अगर वैक्सीन न ली जाती तो क्या साइड इफेक्ट्स होते।
हां मैंने वैक्सीन ली- याचिकाकर्ता
सुनवाई के दौरान जस्टिस पादरीवाला ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या आपने वैक्सीन ली है? इसके जवाब में याचिकाकर्ता ने कहा कि हां मैंने वैक्सीन ली है। इसके साथ ही उसने कहा कि मुझे किसी भी तरह का साइड इफेक्ट नहीं नजर आया। इसके बाद बेंच ने कहा कि यह याचिका केवल सनसनी फैलाने का प्रयास लग रही है और इसीलिए हम इसे खारिज कर रहे हैं।
‘जनता का विश्वास ही सबकुछ…’, जजों को लेकर CJI चंद्रचूड़ को क्यों करनी पड़ी ऐसी टिप्पणी?
याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में मेडिकल विशेषज्ञों की समिति बनाएं और कोविशील्ड वैक्सीन और उसके साइड इफेक्ट्स की जांच करवाए। सुप्रीम कोर्ट में अभी मांग की गई कि समिति में दिल्ली एम्स के निदेशक और रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट के जज भी शामिल हो, ताकि इसका अच्छे से अध्ययन किया जा सके।
एस्ट्राजेनेका ने कोर्ट में क्या कहा?
इसके अलावा याचिकाकर्ता की ओर से बड़ी मांग की गई कि जिन लोगों को वैक्सीन लगने से नुकसान हुआ है, उनके लिए एक ऐसा सिस्टम बनाया जाए ताकि उन्हें मुआवजा मिल सके। बता दें कि अप्रैल में ही ब्रिटिश कंपनी एस्ट्राजेनेका ने माना था कि वैक्सीन का इंसानों के ऊपर खतरनाक साइड इफेक्ट हो सकता है। कंपनी ने कहा था कि वैक्सीन से ब्लड क्लॉटिंग और प्लेटलेट्स की कमी भी हो सकती है। वहीं भारत के सीरम इंस्टीट्यूट ने जो कोविशील्ड वैक्सीन बनाई है, वह भी एस्ट्राजेनेका के ही फार्मूले पर आधारित थी। वैक्सीन की करोड़ों डोज विदेश भी भेजी जा चुकी है।