Supreme Court: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पुलिस कस्टडी में हत्या का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। शुक्रवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यूपी सरकार से कई सवाल पूछे। इस दौरान कोर्ट ने यूपी सरकार से यह भी पूछा कि अतीक और अशरफ की गाड़ी को सीधे अस्पताल क्यों नहीं ले जाया गया। इस पर यूपी सरकार ने कहा कि उसने पूरे मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग गठित किया है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से इस मामले में हलफनामा दाखिल करने और को कहा है।
वहीं पुलिस की मौजूदगी में हत्या की जांच की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट तीन सप्ताह बाद सुनवाई करेगा। याचिका में माफिया भाइओं की हत्या की जांच के लिए पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति गठित करने की मांग की गई है।
अतीक अहमद उत्तर प्रदेश के फूलपुर निर्वाचन क्षेत्र से पूर्व सांसद थे। उसके खिलाफ हत्या, अपहरण और जबरन वसूली सहित 100 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे। उसकी और उसके भाई की 15 अप्रैल को पुलिस कस्टडी में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।पुलिस दोनों भाइयों को मेडिकल जांच के लिए ले जा रही थी। उमेश पाल हत्याकांड में नामजद अतीक के बेटे असद को 13 अप्रैल को पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया गया था।
183 एनकाउंटर की जांच की मांग की
एडवोकेट विशाल तिवारी द्वारा दायर याचिका में 2017 के बाद से उत्तर प्रदेश में हुई 183 मुठभेड़ों की जांच की भी मांग की गई है। इस महीने की शुरुआत में उत्तर प्रदेश पुलिस ने कहा कि उसने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने छह वर्षों में 183 कथित अपराधियों को मुठभेड़ में मार गिराया, जिसमें अहमद का बेटा असद और उसका सहयोगी भी शामिल था।
याचिका में अतीक की हत्या का जिक्र करते हुए कहा गया है कि पुलिस की ऐसी कार्रवाई लोकतंत्र और कानून के शासन के लिए गंभीर खतरा हैं। याचिका में कहा गया है, “एक लोकतांत्रिक समाज में पुलिस को न्याय देने या दंड देने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। अपराधियों को दंड देने की शक्ति केवल न्यायपालिका में निहित है। याचिका में आगे कहा गया है कि जब पुलिस ‘Daredevils’ बन जाती है तो कानून का शासन टूट जाता है और पुलिस के खिलाफ लोगों के मन में भय पैदा होता है, जो लोकतंत्र के लिए बहुत खतरनाक है। जिसके कारण और अधिक अपराध होते हैं।