Supreme Court On Allahabad High Court Rape Observation: नोएडा में एक महिला के साथ हुए रेप मामले में इलाहबाद हाई कोर्ट जज की टिप्पणी पर विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी एक दूसरे मामले की सुनवाई के दौरान इस बयान का जिक्र किया और कठोर शब्दों में इसकी निंदा भी की। जस्टिस बी आर गवई और एजी मसीह की बेंच ने हाई कोर्ट जज की टिप्पणी पर आपत्ति जताई और सतर्क रहने की नसीहत भी दी।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि ये कैसे कहा जा सकता है कि महिला ने खुद ही मुसीबत को निमंत्रण दिया था? आप आखिर ऐसी बात कर कैसे सकते हैं? ऐसे बयान देना उचित नहीं है, न्यायधीशों को तो ऐसी बातें कहते समय सावधानी रखनी ही चाहिए। अब जानकारी के लिए बता दें कि इस साल 17 मार्च को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि किसी महिला की ब्रेस्ट पकड़ना या पजामे का नाड़ा खीचना रेप कहने लिए पर्याप्त नहीं है।
पूरा मामला क्या है?
पिछले साल 21 सितंबर को एक लड़की साउथ दिल्ली में एक म्यूजिकल परफॉर्मेंस में गई थी। वहां पर उसकी मुलाकात आरोपी शख्स से हुई जो उसी के दोस्तों के एक ग्रुप का हिस्सा था। अपनी शिकायत में पीड़िता ने बताया कि आरोपी ने बोला था कि वो घर ड्रॉप कर देगा, लेकिन उल्टा वो उसे गुरुग्राम के अपने प्लॉट में ले गया। पीड़िता का आरोप है कि वहां उसका रेप हुआ। इसी केस में आरोपी को जमानत देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट जज ने एक बड़ी बात बोली थी।
इलाहबाद हाई कोर्ट ने क्या कहा था?
टिप्पणी में कहा गया था कि हमारा मानना है कि अगर पीड़िता के आरोपों को सही भी मान लिया जाए तो इस निष्कर्ष पर भी पहुंचा जा सकता है कि उसने खुद ही परेशानी को न्योता दिया था और उसके लिए वही जिम्मेदार है। पीड़िता ने अपने बयान में भी यही कहा है। उनकी मेडिकल जांच में हाइमन टूटा हुआ है, लेकिन डॉक्टर ने यौन हिंसा की बात नहीं की है। वैसे एक और मामले में सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि शादी के वादे का उल्लंघन करना बलात्कार नहीं हो सकता। और जानने के लिए इस खबर का रुख करें