सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण की आलोचना करते हुए कहा कि उसने कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना कुछ घरों को गिरा दिया और कहा कि इससे हमारी अंतरात्मा को झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विकास प्राधिकरणों को याद रखना चाहिए कि आश्रय का अधिकार भी भारत के संविधान के आर्टिकल 21 का अभिन्न अंग है।
सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण को निर्देश दिया कि वह उन मकान मालिकों को 6 हफ्ते के अंदर 10-10 लाख रुपये का मुआवज़ा दे, जिनके घर गिराए गए हैं। 2021 में, प्राधिकरण ने प्रयागराज में एक वकील, एक प्रोफेसर और तीन अन्य लोगों के घरों को गिरा दिया था।
देश में कानून का शासन है- सुप्रीम कोर्ट
प्रयागराज में तोड़फोड़ पर उच्चतम न्यायालय ने कहा कि देश में कानून का शासन है, नागरिकों के आवासीय ढांचों को इस तरह से नहीं गिराया जा सकता। प्रयागराज में बुलडोजर से घरों को गिराने पर उच्चतम न्यायालय ने कहा, ‘‘यह हमारी अंतरात्मा को झकझोरता है। आश्रय का अधिकार और कानून की उचित प्रक्रिया नाम की भी कोई चीज होती है। उच्चतम न्यायालय ने घरों को ‘अमानवीय और अवैध’ रूप से गिराने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार और प्रयागराज विकास निकाय को फटकार लगाई।
शीर्ष अदालत ने पहले प्रयागराज में उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना घरों को गिराए जाने की कार्रवाई पर उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना की थी और कहा था कि इससे गलत संकेत गया है। याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा था कि राज्य सरकार ने यह सोचकर गलत तरीके से मकानों को ध्वस्त किया कि यह जमीन गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद की है, जो 2023 में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था।
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शीर्ष अदालत अधिवक्ता जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद और अन्य लोगों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिनके मकान ध्वस्त कर दिए गए थे। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तोड़फोड़ की इस कार्रवाई को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। याचिकाकर्ताओं को कथित तौर पर प्रयागराज जिले के लूकरगंज में कुछ निर्माणों के संबंध में 6 मार्च, 2021 को नोटिस दिया गया था।
अखिलेश यादव ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जताई खुशी
वहीं, दूसरी ओर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जताई है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “सच तो ये है कि घर केवल पैसे से नहीं बनता है और न ही उसके टूटने का ज़ख़्म सिर्फ़ पैसों से भरा जा सकता है। परिवारवालों के लिए तो घर एक भावना का नाम है और उसके टूटने पर जो भावनाएं आहत होती हैं उनका न तो कोई मुआवज़ा दे सकता है न ही कोई पूरी तरह पूर्ति कर सकता है। परिवारवाला कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा।” पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स