Adani Row: अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों के मद्देनजर अडानी समूह की कंपनियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जज की निगरानी में जांच की मांग को लेकर दायर कांग्रेस नेता की एक नई याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट बुधवार को राजी हो गया है।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (Chief Justice D Y Chandrachud) और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने कांग्रेस नेता जया ठाकुर की तरफ से पेश एक वकील की दलीलों पर ध्यान दिया कि याचिका पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है। अडानी मामले की जांच के लिए कांग्रेस नेता की ओर से दाखिल नई याचिका पर सुनवाई के लिए 17 फरवरी का दिन तय किया गया है।

LIC और SBI के भारी निवेश की जांच की भी मांग

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की बेंच ने शुरू में 24 फरवरी को सुनवाई के लिए जनहित याचिका को लिस्टेड करने पर सहमति जताई। इसके बाद कांग्रेस नेता के वकील ने बताया कि दो अन्य जनहित याचिकाएं 17 फरवरी को सूचीबद्ध हैं। इस पर बेंच शुक्रवार 17 फरवरी को ही सुनवाई करने का फैसला किया। कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) और भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की अडानी एंटरप्राइजेज में भारी मात्रा में सार्वजनिक धन के निवेश की भूमिका की जांच के लिए निर्देश देने की भी मांग की है।

Hindenburg Research जैसी कंपनियों की खुद चल रही है जांच, Adani विवाद: Arvind Pangaria का बड़ा बयान, देखें वीडियो

शेयर बाजार के लिए नियामक तंत्र को मजबूत करने पर केंद्र राजी

इससे पहले हिंडनबर्ग रिसर्च के धोखाधड़ी के आरोपों से हाल ही में अडानी समूह के शेयरों में गिरावट के बाद शेयर बाजार के लिए नियामक तंत्र को मजबूत करने के लिए विशेषज्ञों का एक पैनल गठित करने के सुप्रीम कोर्ट के प्रस्ताव पर केंद्र ने सोमवार को ही सहमति व्यक्त की थी। केंद्र ने कहा था कि पैनल के काम करने के दायरे और अधिकार का फैसला केंद्र सरकार को ही करने दें। हालांकि वह पैनल के लिए विशेषज्ञों के नाम एक बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी।

भारतीय निवशकों के भारी नुकसान पर सुप्रीम कोर्ट चिंतित

सुप्रीम कोर्ट ने बीते शुक्रवार को बाजार नियामक सेबी और भारत सरकार से निवेशकों के हितों को ध्यान में रखते हुए बेहतर निगरानी तंत्र बनाने पर विचार मांगे थे। साथ ही भारतीय निवशकों को हुए भारी नुकसान पर चिंता जताई थी। सुप्रीम कोर्ट ने भोले-भाले निवेशकों के शोषण और अडानी समूह के स्टॉक मूल्य के “कृत्रिम क्रैश” का आरोप लगाते हुए दायर दो याचिकाओं को पहले ही स्वीकार कर लिया है।