इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक की आत्महत्या मामले में रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी को बड़ी राहत मिली है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस केस की सुनवाई के दौरान उन्हें अलीबाग कोर्ट में फिजिकल अपीयर होने से राहत दे दी है। अब उन्हें 16 अप्रैल तक अदालत में पेश होना ज़रूरी नहीं है।
जस्टिस एसएस शिंदे और मनीष पितले की खंडपीठ ने गोस्वामी द्वारा संशोधित याचिका पर अंतरिम राहत दी है। याचिका में अर्नब गोस्वामी ने 2018 में उनके खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने की गुहार भी लगाई थी। याचिका पर फैसला होने तक गोस्वामी ने कोर्ट में फिजिकल अपीयर नहीं होने की छूट मांगी थी। अर्नब के खिलाफ महाराष्ट्र पुलिस द्वारा दर्ज आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज है। इस मामले में रायगढ़ पुलिस 1900 पन्नों की चार्जशीट भी दायर कर चुकी है।
चार्जशीट में पुलिस ने 65 लोगों का बयान दर्ज किए हैं। अर्नब के साथ फिरोज शेख और नितेश सारडा को भी इसमें आरोप बनाया गया है। सभी पर IPC की धारा 306 के तहत आरोप लगाया गया है। तीनों आरोपियों को 4 नवंबर 2020 को अलीबाग में रहने वाले इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नायक और उनकी मां को वर्ष 2018 में आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
11 नवंबर 2020 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फिलहाल वे जमानत पर बाहर हैं। अर्नब और इन दोनों पर अन्वय के बकाया का भुगतान नहीं करने का आरोप है। इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक, अपनी मां कुमुद नाइक के साथ, मई 2018 में अलीबाग में उनके बंगले में मृत पाए गए थे। अन्वय बंगले के पहली मंजिल पर लटका हुआ पाया गया था। घटना के बाद एक सुसाइड नोट मिला था, जो कथित तौर पर अन्वय ने अर्नब गोस्वामी और दो अन्य लोगों पर 5.40 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं करने का आरोप लगाया था।
