बड़ी ‘ब्रेकिंग’ खबर : बालासोर रेलवे स्टेशन पर तीन ट्रेनें भिड़ीं… 275 मरे, 900 घायल..! हर चैनल पर सीधा प्रसारण। डिब्बे चिथड़े-चिथड़े। रिपोर्टरों कैमरामैनों का डिब्बों के अंदर जाना जोखिम से भरा… राहत कार्य तेज… मौके पर प्रधानमंत्री, रेल मंत्री, ओडिशा और बंगाल के मुख्यमंत्री, फिर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री… मृतकों व आहतों के लिए हर्जाने के एलान और जांच के आदेश। लेकिन राजनीति भी शुरू। विपक्ष की मांग। रेलमंत्री इस्तीफा दें। हर बंदा ‘टक्कर-विशेषज्ञ’ कि ये जिम्मेदार कि वो जिम्मेदार… रेलमंत्री द्वारा रेल पटरी फिर से बिछाने के काम की देखरेख और वक्त से पहले रेल पटरी पर नई ट्रेन को हरी झंडी..!

फिर एक दिन ‘जंतर मंतर’ वाले दंगल को लगे झटके की खबर कि कुछ पहलवानों की गृहमंत्री से बातचीत और सहमति कि पहलवानों पर मुकदमे वापस होंगे… जांच रिपोर्ट आने दें और यह भी खबर कि दो पहलवान नौकरी पर लौटे..! और फिर एक दिन एक अमेरिका से एक से एक कटाक्ष बरसे कि 2024 में जनता भाजपा को हरा देगी कि यह दो विचारधाराओं की लड़ाई है। उनकी पार्टी नफरत फैलाती है, हमारी प्यार फैलाती है, कि वे ‘रीअर मिरर’ में देख गाड़ी चलाते हैं, वे अतीत के बारे बोलते हैं भविष्य के बारे नहीं, हम गांधी को मानते हैं, वे गोडसे को..!

एक दिन बिहार में गंगा पर बन रहा ‘पहले टूट चुका पुल’ फिर एक बार ‘टूट’ जाता है, लेकिन गजब के जवाब कि पुल गलत बन रहा था। यानी कि गिरना ही था, गिर गया। तसल्ली यह कि कोई मरा नहीं। फिर भी भाजपा की जारी ‘हाय हाय’ के जवाब में एक नेता जी के अनमोल वचन कि पुल भाजपा ने गिराया… न जांच न कुछ और, दे दिया फैसला!

फिर एक दिन चैनलों पर ‘गेंमिग जिहाद’ की खबरें! पहले बच्चों को गेम खिलाओ, फिर जिताओ, फिर लुभाओ, फिर बच्चों को पटाओ, नमाज पढ़ाओ… पुलिस ने ‘धर्मांतरण’ कराने वाले को पकडा! इसके बाद चैनलों पर यत्र-तत्र से ‘लव जिहादी’ खबरें बरसने लगीं और मध्यप्रदेश के एक स्कूल की खबर तो और भी हैरतनाक रही कि सरकारी सहायता प्राप्त एक स्कूल में चार हिंदू लड़कियों को ‘हिजाब’ पहनने को मजबूर किया गया। एक बच्ची ने एक चैनल पर बताया कि वे कलावा हटवाते, हिजाब पहनने को मजबूर करते और फिर नमाज पढ़वाते..! सरकार द्वारा जांच के आदेश।

कुछ चैनलों में इस पर भी चर्चा रही। एक ‘सेकुलर’ कहिन कि चुनाव के आते ही ये ‘लव जिहाद’ खोजने में लगे हैं, दूसरा कहिन कि भाजपा सरकार अब तक क्यों आंखें मूंदे रही? तीसरा कहिन कि यह मुसलमानों को निशाना बनाने का बहाना है! इसी बीच एक अमेरिकी संवाददाता सम्मेलन में एक मुसलिम पत्रकार के सवाल के जवाब में अमेरिकी प्रवक्ता बोल उठे कि इंडिया में ‘जीवंत लोकतंत्र’ है चाहे तो जाके देख लो! फिर भी भारत में ‘लोकतंत्र खतरे में है’ की ‘हाय तौबा’ बंद न हुई! फिर आई एक चैनल पर ‘अजमेर 92’ नाम की फिल्म पर ‘पाबंदी’ की मांग की खबर और फिल्म के कुछ पक्षधरों के सवाल कि इस फिल्म पर पाबंदी की मांग क्या ‘आजादी’ पर हमला नहीं है?

एक दिन ‘औरंगजेब’ के चेहरे के चारों ओर ‘प्रभामंडल’ दिखाती तस्वीर का प्रदर्शन और उसका विरोध… फिर कोल्हापुर व अन्य जगहों पर उपद्रव के दृश्य… फिर कुछ गिरफ्तारियां। फिर यह सवाल कि ये औरंगजेब की औलादें कहां से पैदा हो गईं? और जवाब के रूप में सवाल कि क्या औरंगजेब का तस्वीर रखना भी जुर्म हो गया?

फिर एक बार ‘आफताब’ द्वारा ‘श्रद्धा’ के ‘टुकड़े-टुकड़े’ जैसी बर्बर कहानी को याद दिलाती कहानी मुंबई से आई और चैनलों पर दो दिन तक छाई कि छप्पन साल के मनोज और बत्तीस बरस की सरस्वती वैद्य का ‘लिव इन’ में रहना। फिर एक दिन मनोज का सरस्वती के टुकड़े-टुकड़े कर देना, उनको मिक्सी में पीसना, फिर कुकर में उबालना और इधर-उधर ठिकाने लगाना और अंत में बदबू के कारण मनोज का पकड़ा जाना! एकदम हालीवुड की फिल्म ‘साइलेंसेज आफ लेंब’ जैसी कहानियां!

इसी बीच ‘खालिस्तानियों’ द्वारा कनाडा में इंदिरा गांधी की जघन्य हत्या की ‘झांकी’ निकालने की खबर और विवाद और तुरत विदेश मंत्रालय का कड़ा बयान कि जो हो रहा है वह आपत्तिजनक है जो कनाडा के लिए भी ठीक नहीं है।

कुछ चैनल इन दिनों 2024 का हिसाब-किताब करने में लगे दिखते हैं। बहसों में एक ओर कुछ विपक्षी दलों के प्रवक्ता कहते रहते हैं कि सब मिल जाएं तो भाजपा तो गई समझो… भाजपा प्रवक्ता जवाब देते हैं कि मोदी के मुकाबले आपका चेहरा कौन है? फिर एक शाम एक चैनल पर पटना में भाजपा विरोधी विपक्षी दलों द्वारा आहूत बैठक के एजंडे को लेकर चर्चा! एंकर पूछती कि एजंडा क्या है और जवाब आता रहा कि महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार… और लोकतंत्र बचाओ!

फिर एक दिन पहलवानों के दंगल में फंसट… एक चैनल पर कुश्ती संघ के चीफ पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली ‘नाबालिग’ खिलाड़ी के पिता का बयान कि वह नाबालिग नहीं… हमने बदला लेने के लिए आरोप लगाया… लेकिन एक अन्य चैनल पर एक व्यक्ति इसके उलट भी कहता रहा..! फिर एक शाम कई चैनलों पर दो भाजपा सांसदों को लिखे पत्र में उठाए सवालों पर घमासान जारी! विपक्षी प्रवक्ता दावा करता रहा कि हमने नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोली है तो पक्षी प्रवक्ता प्रतिवाद करता रहा कि ये मोहब्बत की दुकान न होकर नफरत का ‘मेगा माल’ है जिसमें ‘मोदी हेट’ भरी है… मोहब्बत भी क्या कोई खरीदने बेचने की चीज हैं? सच : ‘मुझसे पहली-सी मोहब्बत मेरे महबूब न मांग’!