एक बिहारी नेताजी उवाच : बाबकट वाली लिपिस्टक वाली आ जाएंगी…। निंदक कहिन कि घोर महिला विरोधी कथन! कहिन कि बाबकट लिपिस्टक वाली…। धिकृत हुए तो कहने लगे कि माफी…हम तो गरीब गुरबा को समझा रहे थे! फिर एक दिन स्काटलैंड में गुरुद्वारे जाते भारतीय राजदूत को खालिस्तानी आतंकियों ने जबरिया रोका। भारत ने तुरंत प्रतिवाद किया और उतना ही तुरंत ‘यूके’ ने जबाव दिया कि सभी भारतीयों की रक्षा हमारी सर्वाेपरि प्राथमिकता…।

फिर, एक चैनल ‘चुनाव ट्रैकर’ लाया और देर तक ‘ये’ ‘वो’ सीएम पापुलर या कम पापुलर बताता रहा और प्रधानमंत्री को सर्वत्र सुपर पापुलर बताता रहा। इसके बाद वही ‘तू तू मैं मैं’ शुरू कि हमारे पास सबसे बड़ा चेहरा, तुम्हारे पास क्या? जवाब आया कि हमारे पास हर राज्य में सीएम का चेहरा, तुम्हारे पास क्या?

फिर चुनाव वाले एक राज्य के सीएम की व्यथा पब्लिक में फूटी कि बताओ भैया! चुनाव लड़ूं कि नहीं…जनता क्या कहती? और, जिन्हें कहना था वे कह चुके थे! फिर, एक अक्तूबर का दिन गांधीजी की ‘स्वच्छता’ के नाम! सभी महामहिम हाथ में झाड़ू लेकर ‘स्वच्छता अभियान’ चलाते दिखे और ‘श्रम ही सेवा’ का महात्म्य बताते दिखे।इसी बीच आया ‘सत्यं शिवं सुंदरम्’ का ‘गद्यगीत’ और कई चैनलों पर चर्चन-अर्चन!

एक अर्चक ‘अभिभूत’ होकर कहिन कि इससे अलौकिक व्याख्या हो ही नहीं सकती। वे राजनीति के आचार्य हैं। जवाब में एक निंदक कि ये हाईस्कूल के लेवल का लेख है…। दूसरा निंदक कि लेख में नया क्या, जो मोहन भागवत ने कहा, लगभग वही है…। कैसा जमाना आ गया है? एक बंदे ने कहा- ‘गीता उपनिषदादि’ समझे, तब ‘सत्यं शिवं सुंदरम्’ किया। तो भी निंदकों को न भाया! एक निंदक तो ये तक कहिन कि सनातन का खात्मा कहने वालों पर चुप्पी और ‘सत्यं शिवं सुंदरम्’ का जाप! ये सब ‘चुनावी टोटके’ हैं!

इसके बाद आया ‘2024 का ‘गेम चेंजर’, ‘मास्टर स्ट्रोक’, यानी ‘बिहार का जातिगत सर्वे’! इस ‘मास्टर स्ट्रोक’ में रहे : ओबीसी 27.7 फीसद, अति पिछड़े 36.1 फीसद, अगड़े 15.52 फीसद, दलित 19.65 फीसद, मुस्लिम 17.7 फीसद। लेकिन हिंदू 81.99 फीसद…। जब कहा गया कि आर्थिक-शैक्षणिक स्तर के आंकड़े भी दीजिए तो वे कहे कि हम आगे देंगे… इंतजार है!

इसके बाद तो चैनलों पर चरचे ही चरचे थे। एक कहिन कि ये है ‘बिहार का माडल’, बाकी राज्य भी अपनाएं। ये था हमारे ‘उन’ का आइडिया। तो भक्त कहिन कि इसे हम ही ‘ओके’ किए और बजट भी दिए। फिर एक ने ज्ञान बघारा कि ‘जिसकी जितनी संख्या भारी उतनी उसकी हिस्सेदारी’। यह वाला अमोघ नारा कांशीराम ने दिया था, लेकिन विपक्ष के एक बड़े नेता ने उसे काट कर ‘जितनी आबादी उतना हक’ कर दिया और बोले कि या तो सरकार मौजूदा जाति गणना घोषित करे, नहीं तो आने पर हम कर देंगे…।

फिर तर्क-कुतर्क, मंडल बरक्स कमंडल, कि इससे जातिवाद बढ़ेगा, कि यह समाज को बांटने वाला, कि सबको उनका हिस्सा देंगे तो घटेगा…कि तब तो ‘अतिपछिड़ों’ की पौ-बारह और अति पिछड़ों का 44 फीसद वोट सत्तादल के पास…इसकी काट क्या? फिर आई टाप की एक गुगली कि वो कह रहे हैं कि ‘जितनी आबादी उतना हक’ तो क्या आगे बढ़कर हिंदू अपने सारे हक ले लें क्या…। इसका जबाव नहीं आया!

फिर एक दिन एक नामी ‘न्यूज पोर्टल’ पर तथा उसके कुछ पत्रकारों पर ‘यूएपीए’ के तहत कार्रवाई शुरू! पोर्टल के कंप्यूटर, मोबाइल सब कब्जे में! पोर्टल पर ‘चीनी फंडिंग से चीनपरस्त प्रोपेगेंडा के साथ ‘टैरर फंडिग’ के ‘आरोप’! ‘पोर्टल’ के दो कर्ताधर्ताओं से ‘पूछताछ’ और गिरफ्तारी! चैनलों में परिचित सी बहसें उठ खड़ी हुईं।

पोर्टलपरस्त कहे कि ये बदले की कार्रवाई है। जवाब में कहा गया कि ये ‘देश विरोधी’ और ‘चीन परस्त’ प्रोपेगेंडा चलाते थे। अस्सी करोड़ से अधिक ‘हवाला मनी’ मिली। एक ‘यूट्यूबर’ को वीडियो बनाने लिए एक करोड़ से अधिक दिए गए…।कई प्रेस संगठनों ने इसे ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ और ‘पत्रकारिता’ पर निंदनीय हमला बताया। कुछ नेता कहिन कि ये हार के डर से बौखलाकर ऐसा कर रहे हैं…।

यह मामला निपटा नहीं था कि चर्चित ‘शराब कांड’ के एक मुखबिर की नामदेही पर ‘ईडी’ ने ‘आप’ के एक मुखर नेता व सांसद को, उनके घर पर छापे मारकर, कुछ दस्तावेज को बरामद कर, गिरफ्तार कर लिया और पांच दिन की रिमांड पर ले गए…। आप पार्टी के सारे नेता व प्रवक्ताओं ने प्रदर्शन किए और कहा कि वे सत्ता के सबसे तीखे आलोचक थे।

हार के डर से बौखलाई सत्ता ऐसा कर रही है लेकिन हम डरने वाले नहीं। लेकिन जब एक ‘राष्ट्र’ का पीएम, भरी संसद में एक सदस्य को ‘आंख’ मारे और दूसरे बड़े ‘राष्ट्र’ का अध्यक्ष आंख मारने वाले पर खुले आम आक्षेप लगाए तो लगता है ग्लोबल नेताओं की भाषा भी ‘लंपटगीरी’ की है!