एक राज्य के मंत्री जी कहिन: हम अपने राज्य में स्त्री अत्याचारों के मामले में विफल हुए हैं, हमें अपने गिरेबान मे झांक कर देखना चाहिए। मगर जैसे ही उन्होंने ‘लाल डायरी’ के विधानसभा में दर्शन कराए, वैसे ही अपने को विधानसभा में तीस-चालीस विधायकों को अपने ऊपर टूटते पाया, फिर हमने उनको एक चैनल पर बिसूरते हुए ही देखा! इसके बाद मंत्री जी को मंत्रिमंडल से बाहर होना ही था।
संसद में मणिपुर-मणिपुर, चैनलों पर ‘बंगाल बंगाल, राजस्थान राजस्थान’
अपने यहां एक लोकतंत्र को बचाने के लिए दूसरे के लोकतंत्र को कूटना पड़ता है, तभी वह बचता है। लोकतंत्र को बचाने की खातिर ही संसद पूरे सप्ताह चल-चल कर रुकती रही, रुक-रुक कर चलती रही! अंदर-बाहर ‘मणिपुर मणिपुर’ होता रहा, फिर एक दिन विपक्षी सांसद काले कपड़ों में ‘लज्जा लज्जा’ नारे लगाते दिखे और फिर इसकी टक्कर में कई चैनलों पर ‘बंगाल बंगाल, राजस्थान राजस्थान’ भी सुनाई पड़ता रहा!
विपक्षी प्रवक्ता ने कहा- मणिपुर में ‘जेनोसाइड’, एंकर ने पूछा- ‘जेनोसाइड’ के ‘माने’
उस शाम कई एंकरों की शामत आई। इधर होता ‘मणिपुर’, तो उधर होने लगता ‘बंगाल, राजस्थान’! दो पाटन के बीच में कोई एंकर साबुत बचे तो कैसे? सातों दिन एक ही ‘बाइट’, एक ही हल्ला कि ढाई महीने से मणिपुर जल रहा है और पीएम चुप हैं… क्यों… बाहर-बाहर बोलते हैं, संसद में आकर क्यों नहीं बोलते… मणिपुर जल रहा है और वे सत्ता बचाने में लगे हैं…
एक चैनल पर एक विपक्षी वक्ता ने जैसे ही बोला कि मणिपुर में ‘जेनोसाइड’ हुआ है, तो एंकर ने टोका कि सर जी, जरा ‘जेनोसाइड’ के ‘माने’ तो पता कर लीजिए, लेकिन नेता जी मानें तब न।
सब बहस-बहस खेलते दिखते रहे। सत्ता कहे कि वह हर तरह की बहस को तैयार है, लेकिन विपक्ष बहस नहीं चाहता। उधर विपक्ष कहे कि हम तो बहस चाहते हैं, लेकिन सत्तापक्ष नहीं चाहता! सत्ता कहे कि विपक्ष बहस से डरता है कि वह ‘बेपर्द’ हो जाएगा, तो विपक्ष कहे कि खुली बहस से सत्तापक्ष और पीएम डरते हैं, क्योंकि वे ‘बेपर्द’ हो जाएंगे! इसी तरह की ‘खींचखांच’ चलती रही।
फिर एक दिन एक सांसद, संसद के ‘वेल’ में शोर मचाने के आरोप में राज्यसभा से पूरे सत्र के लिए निलंबित और इसके विरोध में संसद के बाहर कई विपक्षी सांसदों का ‘गांधी शरणम् गच्छामि’! ऐसी बहसों के दौरान कई एंकर भी सत्ता के प्रवक्ताओं से कहते दिखे कि इतने दिन हो गए, पीएम को संसद में आकर जवाब देने में क्या दिक्कत है! फिर एक दिन एक एंकर ने हिसाब लगाकर बताया कि संसद पर हर मिनट के हिसाब से इतने लाख रुपए खर्च होते हैं और फिर भी उसे काम नहीं करने दिया जाता तो, विपक्ष कहता दिखा कि हम तो विपक्ष है जी! संसद को चलाने की जिम्मेदारी तो सत्ता पक्ष की है जी!
सबके पास अपनी-अपनी हिंसा, अपने-अपने तर्क-तथ्य और अपने-अपने ‘नियम’
इस तरह सबके पास अपने-अपने मणिपुर, बंगाल, राजस्थान रहे, सबके पास अपनी-अपनी हिंसा, अपने-अपने तर्क-तथ्य और अपने-अपने ‘नियम’ रहे! फिर भी संसद बहस से खाली, लेकिन शोर से भरी रही। हर स्थगन के बाद हम अध्यक्ष महोदय को कहते देखते कि बारह बजे या दोपहर दो या तीन बजे तक लोकसभा/राज्यसभा की बैठक स्थगित… स्थगित… स्थगित…
इसी तरह एक दिन मणिपुर में ‘डेविड’ नामक युवक की हत्या, उसके हाथ-पैरों के टुकड़े कर, उसके सिर को काट कर बांस की नोक पर चौराहे पर लटका देने का वीडियो दर्शकों को हिलाता रहा। इसे देख फिर एक बार चर्चाएं गरम हुईं, एक बार फिर न्याय की मांग उठी और एक बार फिर ‘तू तू मैं मैं’ बिला गई! चैनल बांस पर लटके डेविड के सिर को धुंधला कर दिखाते रहे।
हर बहस का नतीजा वही ‘ढाक के तीन पात’, यानी कि ‘न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी’ यानी कि न बहस होगी न संसद चलेगी, न संसद चलेगी, न बहस होगी! एक एंकर के पूछने पर कि ‘पीएम आकर जवाब क्यों नहीं देते’ के जवाब में एक सत्ता प्रवक्ता ने कहा कि विपक्ष पीएम की सुनता कहां है… पिछले बजट सत्र में जब पीएम जवाब दे रहे थे, तो पूरे दो घंटे तक विपक्ष सिर्फ शोर मचाता रहा। अब फिर वह यही करना चाहता है…
फिर एक दिन विपक्ष सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ले आया, जिसे अध्यक्ष महोदय ने स्वीकार कर बहस के लिए वक्त मुकर्रर करने के लिए समय मांगा और इस तरह विपक्ष ने अपने तरीके की बहस को पक्का किया। फिर भी इस मुद्दे पर बहस रही कि विपक्ष ने ऐसा कर कहीं अपना नुकसान तो नहीं किया, क्योंकि अविश्वास प्रस्ताव पारित तो होने से रहा, अलबत्ता पीएम को जवाब देने का बढिया मौका मिलेगा, जैसा उनको 2018 के अविश्वास प्रस्ताव के दौरान मिला था, जिसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा था कि आप 2023 में भी ऐसा ही अविश्वास प्रस्ताव लेकर आना, ताकि हम चौबीस में भी उसी तरह जीत कर आएं…
पीएम का भी जवाब नहीं। वे फिर आगे बढ़ कर खेले।
नए प्रगति मैदान का उद्घाटन करते हुए जैसे ही वे बोले ‘तीसरा टर्म… तीसरी इकोनामी’ कि हाल में देर तक ‘तालियां’ बजती रहीं और ‘मोदी मोदी’ होता रहा! पीएम ने अपने भाषण में कोई चार बार कहा ‘तीसरा टर्म’ और चारों बार तालियां ही तालियां! भैए, सारा टंटा तो इसी ‘तीसरे टर्म’ को लेकर है! और फिर एक जगह ‘इंडिया’ पर चिपका दिया ‘क्विट इंडिया’!
