भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने अमेरिका, चीन और रूस के साथ भारत के बदल रहे रिश्तों को लेकर एक ट्वीट किया है। इसमें उन्होंने इन देशों के साथ भारत के रिश्तों में आ रही दूरियों का जिक्र किया है। वहीं, उन्होंने पाकिस्तान के अमेरिका, चीन और रूस के साथ सुधर रहे रिश्तों को लेकर भी बात की है।
उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, “अमेरिका, चीन और रूस ने भारत को ठुकराया? नहीं सभी ने पाकिस्तान को अपना लिया!”
चीन का भारत के प्रति रवैया हमेशा से ही तल्ख रहा है। 2020 में लद्दाख में हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 सैनिकों की शहादत भी हो चुकी है। हालांकि, चीन पाकिस्तान को लेकर हमेशा से ही नर्म रवैया अपनाता रहा है। बात चाहें हाफिज सईज जैसे आतंकियों पर यूएन से प्रस्ताव पास कराने की हो या फिर कोई और मसला। चीन हमेशा पाकिस्तान के साथ खड़ा दिखता है। उसके मौजूदा रवैये को लेकर ज्यादा अचरज की बात नहीं है। लेकिन रूस के मामले में भारत को गंभीरता से विचार करना होगा। 1971 की लड़ाई हो या फिर उससे 6 साल पहले 1965 में हुआ युद्ध। रूस ने हमेशा भारत का साथ दिया। बांग्लादेश के मामले में रूस के वीटो की वजह से ही अमेरिका को चुप्पी साधनी पड़ी लेकिन, अब रूस का रवैया पाकिस्तान के प्रति कुछ नर्म दिख रहा है। रूस लंबे समय से भारत को हथियार बेचता रहा है लेकिन, अब वो पाकिस्तानी सेना के साथ भी अपनी जुगलबंदी बढ़ा रहा है। ये भारत के लिए चिंता का विषय है।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समय में अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली मदद तकरीबन रोक दी थी। पुलवामा हमले के समय भी ट्रंप ने भारत का साथ दिया। अलबत्ता बाइडन प्रशासन भारत का साथ नहीं दे रहा। बाइडन प्रशासन ने सितंबर में पाकिस्तान को एफ-16 युद्धक विमानों के लिए 45 करोड़ डॉलर की मदद देने की मंजूरी दी थी। पिछले चार सालों में वाशिंगटन की ओर से इस्लामाबाद को दी गई यह पहली बड़ी सुरक्षा सहायता है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय का कहना है कि हमारी कांग्रेस (संसद) के संज्ञान में ये सारी बातें हैं। खास बात है कि इसके बाद अमेरिका ने जो कहा वो भारत के लिए खतरे की घंटी है।
अमेरिका ने एफ-16 लड़ाकू विमान कार्यक्रम के तहत पाकिस्तान के 45 करोड़ डॉलर की सैन्य सहायता को जायज ठहराया है। अमेरिका का कहना है कि ये सहायता अमेरिका और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंधों को देखकर दी जा रही है। अमेरिकी सरकार ने कहा कि इन लड़ाकू विमानों के बेड़े से पाकिस्तान को आतंकवाद विरोधी अभियान के संचालन में मदद मिलेगी। हालांकि, भारत ने सहायता के खिलाफ काफी शोर मचाया लेकिन, बाइडन या उनके किसी मंत्री ने विदेश मंत्री एस जयशंकर को तवज्जो नहीं दी।