भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने एयर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया को रद्द करने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की पीठ मंगलवार को स्वामी की याचिका पर सुनवाई कर सकती है। बीजेपी को अपने सांसद का यह रवैया शायद रास ना आए लेकिन स्वामी अपने इन्हीं तेवरों के लिए जाने जाते हैं। गांधी परिवार को भी कोर्ट में खींचने का काम उन्होंने ही किया है।

बीजेपी के राज्यसभा सदस्य स्वामी ने मौजूदा एयर इंडिया विनिवेश प्रक्रिया के संबंध में अधिकारियों द्वारा किसी भी अग्रिम कार्रवाई या निर्णय या अनुमोदन अथवा अनुमति को रद्द करने का अनुरोध किया है। स्वामी ने अधिवक्ता सत्य सबरवाल के माध्यम से दायर याचिका में अधिकारियों की भूमिका और कार्यशैली की सीबीआई जांच कराने और इसकी एक विस्तृत रिपोर्ट अदालत के समक्ष पेश करने का भी अनुरोध किया है।

पिछले साल अक्टूबर में केंद्र सरकार ने टाटा संस की एक कंपनी द्वारा एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस के 100 प्रतिशत शेयरों के साथ-साथ ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी एआईएसएटीएस में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए पेश की गई उच्चतम बोली को स्वीकार किया था। टाटा संस के हाथों में कमान जाने के बाद माना जा रहा था कि कंपनी के दिन अब बदल जाएंगे और ये घाटे से उबर जाएगी।

गौरतलब है कि एयर इंडिया लंबे समय से घाटे में चल रही है। यूपीए सरकार के दौरान भी इसके उद्धार को लेकर कोशिशें की गईं लेकिन वो सारी बेनतीजा निकलीं। इसके बाद मोदी सरकार ने नीलामी करके टाटा संस को इसके उद्धार का जिम्मा दिया। लेकिन लगता नहीं है कि टाटा की राह सहज रहने वाली है। स्वामी का इतिहास है कि वो एक बार आगे बढ़ने के बाद पीछे नहीं हटते। कोर्ट में लड़ाई को लेकर वो खासे मशहूर हैं।