देश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान ‘जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी’ (JNU) ने हॉस्टल में रहने वाले छात्रों के खिलाफ और कड़े नियम बनाने की तैयारी में है। विश्वविद्यालय द्वारा हॉस्टल के नए ड्राफ्ट रूल के मुताबिक यदि छात्रा या छात्रा जेएनयू प्रशासन के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन या नारेबाजी करते हैं तो उन्हें यूनिवर्सिटी से निकाला जा सकता है और उनके फेलोशिप और डिग्री भी रोक दी जाएगी। जेएनयू की वेबसाइट पर अपलोड की गई प्रस्तावित हॉस्टल नियमावली यह भी बताती है कि छात्रों को अपने संबंधित छात्रावासों में 11.30 बजे रात तक लौटना होगा। लाइब्रेरी जाने वाले छात्रों को लाइब्रेरी बंद होने के आधे घंटे के भीतर अपने हॉस्टल में लौटना होगा।

उधर, जेएनयू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) ने यूनिवर्सिटी के इस नए कदम को छात्रों की सक्रियता पर अंकुश लगाने वाला कदम बताया है। ‘द टेलिग्राफ’ ने इस मामले में यूनिवर्सिटी के छात्रों से बात की है। द टेलिग्राफ की रिपोर्ट में एन साई बालाजी नाम के छात्र ने बताया, “यूनिवर्सिटी प्रशासन भाजपा सरकार के इशारे पर काम कर रहा है। उनके विचार में यूनिवर्सिटी सीखने का नहीं, बल्कि प्रोपगैंडा फैलाने का माध्यम है। यही कारण है कि वे हॉस्टल के लड़कों के लिए कर्फ्यू टाइमिंग की शुरुआत कर रहे हैं और हॉस्टल में किसी भी फैसले का विरोध करने पर कड़ी सजा का प्रावधान रख रहे हैं।”

‘द टेलिग्राफ’ ने 2017 में जेएनयू द्वारा लागू नए नियम का बी हावाला दिया है, जिसके मुताबिक सामान्य शैक्षणिक गतिविधियों को बाधित करने वाले घेराव या धरना के खिलाफ यूनिवर्सिटी से आरोपी छात्रों को बाहर करने वाले दंड शामिल किए गए। हालांकि, वर्तमान ड्राफ्ट रूल के मुताबिक छात्र अगर भूख-हड़ताल या धरना देता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

नए मसौदे के मुताबिक यदि छात्र रात को हॉस्टल में नहीं रहता है, तो उसे इस बारे में अपने वॉर्डन को सूचित करना होगा। गौरतलब है कि जेएनयू के प्रॉस्पेक्टस से रेजिडेंशल कैंपस का भी तमगा छीन लिया गया है, यानी छात्र बतौर अधिकार हॉस्टल सुविधा की मांग नहीं कर सकते। यूनिवर्सिटी प्रशासन के इस नए मसौदे को लेक छात्रों में आक्रोश भी है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक छात्रों ने इस ड्राफ्ट को लेकर गहरा असंतोष जाहिर किया और इसे उनके अस्तित्व और लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला बताया है। द टेलिग्राफ की रिपोर्ट में छात्रों का कहना है कि जेएनयू प्रशासन को अब कैंपस को जेल में तब्दील कर देना चाहिए।

वहीं यूनिवर्सिटी ने प्रस्तावित नियमों पर चर्चा करने के लिए 18 अक्टूबर को इंटर-हॉल ऐडमिनिस्ट्रेशन की बैठक बुलाई है। इसमें छात्र, छात्रावास वार्ड और जेएनयूएसयू के प्रतिनिधियों के सदस्य शामिल हैं। हालांकि, हाल ही में निर्वाचित जेएनयूएसयू को अभी तक बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया है।