Cheetahs Kuno National Park: एक विशेष जंबो जेट में शनिवार(17 सितंबर) को आठ चीतों को नामीबिया से भारत लाया गया है। दक्षिण अफ्रीका के खुले जंगलों से भारत लाए गये इन चीतों को लगभग 748 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैले मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में रखा जाएगा। इन चीतों की कहानी भी अपने आप में बड़ी दिलचस्प है।

दरअसल इन 8 चीतों में 3 नर और 5 मादा हैं। वहीं इनमें दो एक मां की संतान हैं और दो की आपस में गहरी दोस्ती है। इन्हें भारत लाने में भारतीय अधिकारियों के साथ नामीबिया स्थित चीता संरक्षण कोष (CCF) ने पूरे मिशन में मदद की है। चीता कंजर्वेशन फंड(सीसीएफ) जोकि एक अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन है, उसके मुताबिक भारत लाए गए चीतों में दो से पांच साल उम्र की पांच मादा चीता हैं और साढ़े चार से साढ़े पांच साल उम्र के नर चीता हैं।

भारत आए एक चीते की साढ़े चार साल की है। सीसीएफ के मुताबिक, इस चीते का जन्म मार्च 2018 में नामीबिया के इरिंडी प्राइवेट गेम रिजर्व में हुआ था। यहीं इस चीते की मां का भी जन्म हुआ था। 8 चीतों में सबसे कम उम्र का चीता दो साल का है। सीसीएफ के मुताबिक नामीबिया के गोबाबिस में अपने भाई के साथ इस चीते को पहली बार देखा गया था। कम उम्र के इस चीते के साथ 3 से 4 साल की मादा चीता नामीबिया के एक जाने माने कारोबारी के पिंजड़े में कैद थी।

गौरतलब है कि 10 राष्ट्रीय उद्यानों और छह बाघ अभयारण्यों में 526 बाघों और 3421 तेंदुओं की सबसे अधिक आबादी होने के बाद मध्य प्रदेश अब ‘चीता स्टेट’ बन गया है।

भारत लाने से पहले हुई मेडिकल जांच:

बता दें कि चीतों को अफ्रीका से भारत लाने के लिए नामीबिया के अलग-अलग इलाकों में खोजा गया। उसके बाद उनकी मेडिकल जांच कर, उनकी सेहत की जानकारी जुटाई गई। बता दें कि चीतों को पकड़ने के लिए नशे का इंजेक्शन या फिर उन्हें ट्रैप केज में फंसाकर पकड़ा जाता है। इसके लिए बेहद अनुभवी वेटरेनेरियन और ट्रैपर्स की सहायता ली जाती है।

औसत जीवन 8 से 12 साल:

चीते का औसत जीवन काल लगभग 8-12 साल का होता है। लगभग 1.6 साल की आयु तक शावकों को उनकी मां द्वारा संरक्षित किया जाता है। इसके बाद चीते खुद ही अपना शिकार करने में सक्षम होते हैं। चीता कंजर्वेशन फंड के स्टाफ के अनुसार आठ जानवरों में दो मादा चीता आपस में दोस्त बताई जा रही हैं। बता दें कि चीतों की दुनियाभर में आबादी में तेजी से गिरावट के बीच बचे हुए चीतों में कम से कम एक तिहाई संख्या दक्षिण अफ्रीका में हैं।