फिल्म में इस तरह की कहानियां काफी देखने को मिलती है कि बचपन में घर से नाराज होकर भागा युवक बाद में अमीर बनकर घर वापस पहुंचता है। लेकिन उत्तर प्रदेश के हरदोई में यह कहानी चरितार्थ हुई है। पिता की डांट से नाराज होकर 12 साल की उम्र में घर से भागा रिंकु 14 साल बाद 26 साल की आयु में गुरुप्रीत बनकर वापस गांव लौटा।
14 साल पहले घर छोड़कर जाने के बाद रिंकू पंजाब चला गया। पंजाब में उसने खूब पैसा कमाया और कुछ ट्रक खरीद ली। उनमें से एक ट्रक का झारखंड के धनबाद में एक्सीडेंट हो गया। इसी सिलसिले में वह अपनी कार से धनबाद जा रहा था। तभी रास्ते में हरदोई पड़ने के चलते उसे सब याद आ गया। हालांकि रिंकू को अपने पिता का नाम याद नहीं था लेकिन उसे गांव के एक आदमी का नाम याद था सूरत यादव का वो सीधा सूरत यादव के पास पहुंचा जिसके बाद वो अपने माता-पिता तक पहुंचने में सफल रहा।
गुरप्रीत के पिता सरजू खेती करते हैं 14 साल पहले जब वो घर से चला गया तो घर वालों ने अपने लापता बेटे को खोजने की बहुत कोशिश की लेकिन आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं होने की वजह से खोजबीन अधिक दिनों तक जारी नहीं रह सकी।
गांव में रिंकू के आने की सूचना मिलते ही लोग उसे देखने के लिए पहुंचने लगे। सरदार गुरुप्रीत सिंह बनकर लौटे रिंकू ने खुद सभी को अपनी कहानी बतायी। उसने बताया कि घर से भागकर ट्रेन से वह लुधियाना पहुंचा। वहीं पर भारत नगर चौक पर टीएस ट्रांसपोर्ट कंपनी में वो काम करने लगा। धीरे-धीरे उसने ड्राइवरी सीख ली और ट्रक चलाने लगा। अपनी मेहनत से वह आगे बढ़ता गया। बाद में उसने खुद की ट्रक खरीद ली।
14 साल बाद घर वापस आए बेटे को देखकर माता पिता काफी खुश हैं। रिकू की मां का कहना है कि उसका बेटा अपने काम धंधे को करता रहे लेकिन अब जैसे पहले छोड़ कर गया था ऐसा कोई काम न करें। वहीं रिकू ने कहा है कि वह माता-पिता और भाइयों को भी मजबूत करने का काम करेगा।