Maharashtra News: नाबालिग सौतेली बेटी का बलात्कार करने के मामले में एक शख्स को दोषी पाया गया था। उसे आजीवन कारावास की सजा भी हुई थी लेकिन अब बॉम्बे हाईकोर्ट ने उसे जमानत दे दी है। दोषी को जमानत देते हुए कोर्ट ने कहा कि निश्चित तौर पर पीड़िता लड़की उस व्यक्ति से गंभीर रूप से नफरत करती है, जिसके चलते संभावना है कि लड़की इस मामले झूठ बोल रही हो।
दोषी शख्स को जमानत देते हुए हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि इस बात पर विश्वास करना काफी मुश्किल है कि पीड़िता के साथ पिछले 5-6 साल से इतना सबकुछ हो रहा था फिर भी उसने अपनी मां को इस बारे में कुछ नहीं कुछ बताया। 2 जुलाई को कोर्ट ने दोषसिद्धि के खिलाफ व्यक्ति की अपील में अंतरिम आवेदन पर आदेश पारित किया।
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कोर्ट ने मंजूर कर लीं शख्स की बातें
आरोपी ने अपील के निपटारे तक जमानत पर रिहाई की याचिका लगाई थी, जिसे उच्च न्यायालय ने मंजूर कर लिया। उसे पिछले साल सत्र न्यायालय ने भारतीय दंड संहिता (IPC) और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत दंडनीय बलात्कार के अपराधों के लिए दोषी ठहराया था।
कक्षा 5 से यौन शोषण होने का आरोप
वहीं इस मामले मे पीड़ित पक्ष की तरफ से कहा गया कि पीड़िता के साथ यौन शोषण की शुरुआत तबसे हुई जब वह कक्षा 5 में थी और ये सिलसिला 2018 तक जारी रहा। इस दौरान नाबालिग लड़की 17 साल की हो गई। उसने आखिरी घटना के बाद अपने मामा को बताया, जिसके बाद उसकी मां ने शिकायत दर्ज कराई। एक प्राथमिकी दर्ज की गई और उसी महीने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया था। केस के दौरान कोर्ट से उसे जमानत मिली थी फिर जुलाई, 2024 में दोषी ठहराए जाने के बाद से वह से हिरासत में था।
बचाव पक्ष ने क्या कहा?
इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक मुंदरगी ने आवेदक की ओर से दलील दी कि यह कहानी झूठी है और यह संभव नहीं है कि लड़की करीब पांच से छह साल तक चुप रह सकती है। मुंदरगी ने दलील दी कि रिकॉर्ड के अनुसार, उसकी मां ने मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं किया और उनके मुवक्किल के खिलाफ कोई पुष्ट सबूत नहीं है। वकील ने यह भी तर्क दिया कि लड़की की जिरह से पता चला है कि उसके पास आवेदक को मामले में झूठा फंसाने के लिए बहुत ही ठोस कारण थे, जिससे उसके बयान पर संदेह पैदा होता है, इसलिए आवेदक को कमजोर सबूतों के आधार पर हिरासत में नहीं रखा जाना चाहिए।
नाबालिग लड़की ने विवाद पर क्या कहा?
बॉम्बे हाईकोर्ट ने न्यायमूर्ति सारंग वी कोतवाल और न्यायमूर्ति श्याम सी चांडक की पीठ ने पाया कि जिरह के दौरान लड़की ने कहा कि उसकी मां ने प्रेम संबंध के चलते आवेदक से शादी की थी और उसके मामा और दादा इस शादी के खिलाफ थे। यह स्वीकार करते हुए कि उसने अपनी मां को आरोपी के कथित कृत्यों के बारे में नहीं बताया।
लड़की ने अपनी गवाही में बताया कि जब उसकी मां और सौतेले पिता ने उसके किसी लड़के के साथ चैंटिंग के मैसेजेस देखे थे, तो दोनों लड़के के घर पहुंच गए थे। इस दौरान सौतेले पिता ने उसे थप्पड़ भी मारा था। इसके अलावा एक बार फिर जब कुछ ऐसा ही हुआ था, तो सौतेले पिता ने ही उसे बुरी तरह डांटा था। इतना ही नहीं उसका फोन भी तोड़ दिया था।
कोर्ट ने क्या-क्या कहा
लड़की की गवाही को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट के जजों ने कहा कि लड़की की गवाही ये संकेत मिलता है कि वो अपने सौतेले पिता से नफरत करती है। कोर्ट ने कहा कि साक्ष्य से यह स्पष्ट है कि इस बात की प्रबल संभावना है कि पीड़िता सच नहीं बोल रही है। यह मानना बहुत मुश्किल है कि लगभग पांच से छह वर्षों तक, पीड़िता ने अपनी माँ को भी यह नहीं बताया कि उसके साथ क्या हो रहा है। कोर्ट ने कहा कि पीड़िता के साथ शख्स की नफरत भी काफी ज्यादा है। वो जो बोल रही है, उसकी गवाही मेडिकल रिपोर्ट्स में नहीं हो रही है।
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