देश में साल 2017-18 के दौरान बेरोजगारी दर 6.1 फीसदी थी। शुक्रवार (31 मई, 2019) को सांख्यिकी मंत्रालय ने खुद एक बयान में यह बात कही। मंत्रालय ने कहा कि जनवरी में छपी बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट सही थी। जिसमें कहा गया था कि देश में 1972-73 के बाद से भारत में बेरोजगारी दर अपने उच्चतम स्तर पर थी। नरेंद्र मोदी के दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के दूसरे दिन यह जानकारी सामने आई है। बता दें कि आम चुनाव में भाजपा ने भारी बहुमत से लोकसभा सीटें जीतकर केंद्र में सरकार बनाई है।
हालांकि सरकार ने अभी भी बेरोजगार दर के लिए तुलनात्मक नंबरों की संख्या बताने से इनकार कर दिया। मामले में मुख्य सांख्यिकीविद् प्रवीण श्रीवास्तव ने पत्रकारों से कहा, ‘यह एक नई डिजाइन, नई मीट्रिक है… अतीत के साथ इसकी तुलना करना सही नहीं होगा।’ गौरतलब है अंग्रेजी अखबार बिजनेस स्टैंडर्ड, जिसने जनवरी में लीक रिपोर्ट के हवाले से बेरोजगारी के आंकड़े जारी किए, ने कहा था कि यह नेशनल सैंपल सर्वे (NSS) ऑफिस द्वारा जुलाई 2017 और जून 2018 के बीच किए गए एक आकलन पर आधारित रिपोर्ट थी। अखबार ने उस वित्तीय वर्ष के लिए आंकड़ा दिए बिना रिपोर्ट दी कि भारत में बेरोजगारी दर 1972-73 के बाद से सबसे अधिक थी।
सांख्यिकी मंत्रालय ने यह भी कहा कि दिसंबर 2018 में समाप्त होने वाली तिमाही में शहरी क्षेत्रों में महिला श्रम भागीदारी दर 19.5 प्रतिशत थी, जबकि पुरुषों के लिए यह 73.6 प्रतिशत थी। गौरतलब है कि बेरोजगारी संख्या के साथ शुक्रवार को एक और डेटा जारी किया गया, जिसमें दिखाया गया है कि अर्थव्यवस्था जनवरी-मार्च की अवधि में 5.8 फीसदी बढ़ी, यह इसकी 17 तिमाहियों में सबसे धीमी गति, और लगभग दो सालों में पहली बार चीन की गति के पीछे गिर गई।
बता दें कि लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान बेरोजगारी और अर्थव्यवस्था को कांग्रेस पार्टी ने प्रचार के प्रमुख मुद्दों में शामिल किया। हालांकि चुनाव में उसे बड़ी हार का मुंह देखना पड़ा। कांग्रेस के कई दिग्गज नेता चुनाव नहीं जीत पाए। पार्टी 542 लोकसभा सीटों में से महज 52 सीटें जीत सकी। चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और उसके 303 नेता जीतकर संसद पहुंचे।

