जम्मू कश्मीर में फिर से बारिश होने के मौसम विभाग के पूर्वानुमान से लोगों में घबराहट बढ़ गई है। लोग बाढ़ की स्थिति में मंगलवार को सुधार होने से राहत महसूस कर रहे हैं। बाढ़ से अब तक 17 लोगों की मौत हुई है।

पिछले 24 घंटों से कोई बारिश नहीं हुई है। इससे दिन के वक्त घाटी में बाढ़ को लेकर लोग कम चिंतित नजर आए। झेलम नदी का जलस्तर भी तेजी से घट रहा है। यह दक्षिण कश्मीर में संगम पर 16.45 फुट पर बह रही है, जो 24 घंटे पहले के 22.80 फुट की तुलना में छह फुट कम है।

शहर में राम मुंशी बाग में जलस्तर डेढ़ फुट से अधिक कम हुआ है। इसके रात तक और कम होने की उम्मीद है। हालांकि, मौसम विभाग ने बुधवार तक हल्की बारिश होने का पूर्वानुमान लगाया है। इससे लोगों की चिंता फिर बढ़ गई है। दरअसल, लोग बाढ़ से पैदा हुए संकट को खत्म होने की उम्मीद कर रहे थे।

बाढ़ के खतरे के मद्देनजर घाटी में स्कूल कॉलेज बंद हैं और परीक्षाएं टाल दी गई हैं। हालांकि, कश्मीर विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि विश्वविद्यालय बाढ़ की स्थिति में सुधार को देखते हुए बुधवार से तय कार्यक्रम के मुताबिक परीक्षाएं लेगा।

गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने बागडोगरा में बताया,‘पिछली बार की तरह स्थिति गंभीर नहीं है। लेकिन हम पूरी तरह से सतर्क हैं। यदि जरूरत पड़ी तो और अधिक सहायता भेजेंगे।’

इस बीच, बडगाम जिले के लादेन गांव में सोमवार को ढहे चार मकानों के मलबे से छह और शव मिलने से मृतकों की संख्या बढ़ कर 16 हो गई। सोमवार रात तक 10 शव बरामद किए गए थे। भूस्खलन में फंसे एक व्यक्ति के मरने की आशंका जताई जा रही है, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हुई है। जम्मू क्षेत्र के उधमपुर इलाके में बाढ़ में एक व्यक्ति की मौत हो गई।

राहत और पुनर्वास मंत्री सैयद बशरत बुखारी ने जम्मू में राज्य विधानसभा में कहा कि बडगाम जिले के विभिन्न इलाकों में पिछले कुछ दिनों से हो रही लगातार बारिश से भूस्खलन की छिटपुट घटनाएं हुई हैं। जिला प्रशासन ने जोखिम वाले इलाकों से लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने के लिए फौरी कदम उठाए हैं। उन्होंने बताया कि विभिन्न इलाकों से 221 परिवारों को निकालकर जिला प्रशासन द्वारा मुहैया किए गए तंबू और सुरक्षित स्थानों पर मौजूद सरकारी भवनों में रखा गया है।

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श्रीनगर के पंपोर में मंगलवार को नाव पर सवार होकर सुरक्षित स्थान की ओर जाते लोग।

 

 

उन्होंने बताया,‘मुफ्त राशन, पानी और बुनियादी सुविधाओं के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सुरक्षित निकाले गए लोग किसी तरह की असुविधा का सामना नहीं करें।’ मंत्री ने बताया कि 64 परिवारों ने तंबुओं और सरकारी भवनों में जाने की बजाय अपने रिश्तेदारों के यहां रुकना पसंद किया। मंत्री ने बताया कि लादेन गांव में भूस्खलन के खतरे के चलते 16 परिवारों को पहले ही निकाला जा चुका है। उनमें से 13 परिवार तंबू में रखे गए हैं जबकि तीन परिवार अपने रिश्तेदारों के पास रह रहे हैं।

बुखारी ने बताया कि जहां मकान ढहे हैं, वहां बडगाम उपायुक्त ने स्थानीय लोगों के साथ दौरा किया है। मंत्री ने बताया कि मोहम्मद शाबान हजाम नामक व्यक्ति के परिवार के पांच सदस्यों को गुलाम नबी हजाम के घर को सुरक्षित मानते हुए वहां ठहराया गया था। लेकिन दुर्भाग्य से 29 और 30 मार्च की रात मकान ढह गया, नतीजतन 16 लोगों की मौत हो गई।

राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की दो टीमों को श्रीनगर के अनंतनाग और हुमहामा थाना क्षेत्रों में तैनात किया गया है, तीन अन्य टीमों को अलग-अलग स्थानों से श्रीनगर पहुंचाया गया। वहीं 100-100 जवानों वाली अन्य तीन टीमों को तैयार रहने को कहा गया है। बल के मुख्यालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक बाढ़ के खतरे को देखते हुए उत्तर और दक्षिण कश्मीर में दो-दो टीमों को तैनात किया गया है।

चार टीमों को मध्य कश्मीर में तैनात किया गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बल ने घाटी में गतिविधियों के संचालन और समन्वय के लिए उप महानिरीक्षक स्तर के एक अधिकारी को दिल्ली से यहां भेजा है। बल का दिल्ली स्थित नियंत्रण कक्ष हालात पर करीबी नजर बनाए हुए है और अन्य एजंसियों के संपर्क में है।