समाजवादी पार्टी (सपा) मुखिया अखिलेश यादव ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ उत्तर प्रदेश में हुई हिंसा के लिए राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए रविवार को कहा कि सरकार के इशारे पर जानबूझकर आगजनी और हिंसा की गई, ताकि जनता को डराया जा सके। लखनऊ में संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस ने ज्यादती की। पुलिस ने गाड़ियों में तोड़फोड़ और आगजनी की। यह सब कुछ सरकार के इशारे पर हुआ।
कहा सरकार के इशारे पर पुलिस ने जानबूझकर आगजनी की : उन्होंने कहा कि जिस प्रदेश का मुख्यमंत्री बदला लेने की बात करता हो, उस राज्य की पुलिस निष्पक्ष नहीं हो सकती। सरकार के इशारे पर पुलिस ने जानबूझकर आगजनी की, ताकि जनता को डराया जा सके। यह लोकतंत्र में विश्वास करने वाली सरकार नहीं है। हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून की वजह से पूरी दुनिया में देश की छवि खराब हुई है। कहा कि सिर्फ भारत ही नहीं विश्व के कई विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में विरोध-प्रदर्शन हुए हैं। कहा कि यह सरकार की जिद की वजह से है। कहा कि सरकार की जिद की वजह से स्कूल-कॉलेज बंद हैं।
बोले – जिनके घर शीशे के होते हैं, वे दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं मारा करते : सरकार द्वारा सपा कार्यकर्ताओं पर हिंसा भड़काने के आरोप संबंधी सवाल पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सपा कार्यकर्ताओं ने हर जगह शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन किया, मगर सरकार ने बेरोजगारी भ्रष्टाचार और नौजवानों के मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए खुद हिंसा को हवा दी। इसमें हुई सार्वजनिक संपत्ति की भरपाई दंगाइयों को चिह्नित कर उनकी संपत्ति कुर्क करके किए जाने के सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए सपा मुखिया ने कहा कि फिर तो 2007 के गोरखपुर दंगों में हुए नुकसान की भी भरपाई की जानी चाहिए। उन दंगों में योगी आदित्यनाथ आरोपी थे। जिनके घर शीशे के होते हैं, वे दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं मारा करते।
कानून के विरोध में लखनऊ समेत कई शहरों में हुआ आंदोलन: इससे पहले नागरिकता कानून के खिलाफ दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हुई हिंसा की आंच अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से होते हुए यूपी की राजधानी लखनऊ तक पहुंच गई थी। लखनऊ के नदवतुल उलमा (नदवा कॉलेज) और इंटीग्रल यूनिवर्सिटी में नाराज छात्रों ने जोरदार प्रदर्शन किया था। हालात बिगड़ने पर दोनों संस्थानों में छुट्टी घोषित कर दी गई थी। सरकार ने हिंसा को देखते हुए लखनऊ समेत पूरे प्रदेश में धारा 144 लगा दी है। नागरिकता कानून के विरोध में यूपी की राजधानी लखनऊ समेत कानपुर, प्रयागराज, संभल, गोरखपुर, फिरोजाबाद, मेरठ, वाराणसी, मुरादाबाद, रामपुर, बिजनौर, आजमगढ़ आदि शहरों में जमकर हिंसा और विरोध-प्रदर्शन हुआ था। कई शहरों में हिंसा, आगजनी और विरोध प्रदर्शन में एक दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। सार्वजनिक संपत्ति का भारी नुकसान हुआ है।