Israel-Iran Conflict: कांग्रेस चेयरपर्सन और संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी ने ईरान इजरायल टकराव पर बयान दिया है और इजरायली हमले की निंदा की है। उन्होंने इसको लेकर भारत सरकार की चुप्पी पर भी सवाल खड़े किए हैं। द हिंदू अखबार में लिखे आर्टिकल में कहा कि इजराइल खुद परमाणु शक्ति है लेकिन ईरान को परमाणु हथियार न होने पर भी टारगेट किया जा रहा है। ये इजराइल का दोहरा मापदंड है।
सोनिया गांधी ने कहा है कि ईरान भारत का पुराना दोस्त रहा है और ऐसे हालात में भारत की चुप्पी परेशान करने वाली है। उन्होंने कहा कि गाजा में हो रही तबाही और ईरान में हो रहे हमलों को लेकर भारत को स्पष्ट, जिम्मेदार और मजबूत आवाज में बोलना चाहिए। अभी देर नहीं हुई है। सोनिया गांधी ने कहा कि 13 जून 2025 को इजराइल ने ईरान की संप्रभुता का उल्लंघन करते हुए एकतरफा हमला किया, जो गैरकानूनी और क्षेत्रीय शांति के लिए खतरनाक है। कांग्रेस ईरान में हो रहे इन हमलों की निंदा करती है, जिनसे क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर गंभीर अस्थिरता और टकराव बढ़ सकता है।
इजरायली हमले को लेकर की निंदा
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष कहा कि गाजा पर हमले की तरह यह इजराइली ऑपरेशन भी क्रूर और एकतरफा है, जो आम नागरिकों की जान और क्षेत्रीय स्थिरता को पूरी तरह नजरअंदाज करते हुए चलाया गया। ऐसे कदम सिर्फ अस्थिरता को बढ़ाते हैं और आगे आने वाले समय में बड़े संघर्ष के बीज बोते हैं। उन्होंने कहा कि यह हमला उस समय हुआ जब ईरान-अमेरिका के बीच कूटनीतिक बातचीत जारी थी और इसके अच्छे संकेत भी मिल रहे थे। इस साल पांच दौर की बातचीत हो चुकी है और जून में छठे दौर की बातचीत होनी थी।
ईरान से दोस्ती को बताया अहम
सोनिया गांधी ने कहा कि ईरान भारत का पुराना दोस्त रहा है, और दोनों सभ्यताओं के बीच गहरा जुड़ाव है। ईरान ने कई मौकों पर भारत का साथ दिया है। 1994 में ईरान ने संयुक्त राष्ट्र में एक प्रस्ताव ब्लॉक करने में मदद की थी, जिसमें जम्मू-कश्मीर के मसले पर भारत की आलोचना की गई थी। उन्होंने कहा कि ईरान के खिलाफ इजराइली कार्रवाई को पूरी तरह पश्चिमी देशों का समर्थन प्राप्त है और कोई जवाबदेही नहीं है। 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजराइल पर जो हमला किया था, उसकी कांग्रेस ने निंदा की थी लेकिन साथ ही हम इजराइल की क्रूर कार्रवाई पर चुप नहीं रह सकते हैं।
इजरायल के साथ भीषण युद्ध के बीच ईरान ने भारत से क्या मांग की?
भारत सरकार पर उठाए सवाल
दिग्गज कांग्रेस नेता ने कहा कि 55,000 से अधिक फिलिस्तीनी अपनी जान गंवा चुके हैं। पूरे परिवार, मोहल्ले और यहां तक कि अस्पताल तक नष्ट कर दिए गए हैं। गाजा भुखमरी की कगार पर है, और वहां की आम जनता वो दर्द झेल रही है, जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। उन्होंनें कहा कि मानवीय संकट के समय में नरेंद्र मोदी सरकार ने भारत की टू-स्टेट सॉल्यूशन की प्रतिबद्धता को लगभग पूरी तरह छोड़ दिया है। एक ऐसा समाधान जिसमें स्वतंत्र फिलिस्तीन, इजराइल के साथ सुरक्षा और सम्मान के साथ मिलकर रह सके।
परमाणु पावर पर क्या कहा?
सोनिया गांधी ने कहा कि ये माना जा सकता है कि इस क्षेत्र के इतिहास को देखते हुए इजराइल की सुरक्षा चिंताएं जायज हो सकती हैं लेकिन दोहरे मापदंड मान्य नहीं हैं। इजराइल खुद एक परमाणु शक्ति है और उसका अपने पड़ोसियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करने का लंबा इतिहास रहा है। वहीं ईरान अभी भी न्यूक्लियर नॉन-प्रॉलिफेरेशन ट्रीटी (NPT) का हिस्सा है और उसने 2015 के परमाणु समझौते का पालन किया। यह समझौता अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और यूरोपीय संघ जैसे देशों की निगरानी में हुआ था।