प्रधानमंत्री मोदी बांग्लादेश के दो दिवसीय दौरे पर हैं। शुक्रवार को पीएम मोदी ने ढाका में बांग्लादेश के नेशनल परेड स्क्वायर से लोगों को संबोधित भी किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं बांग्लादेश के नौजवान पीढ़ियों को एक बात बड़े गर्व से याद दिलाना चाहता हूं। पीएम मोदी ने कहा कि मेरी उम्र 20-22 साल रही होगी जब मैंने और मेरे कई साथियों ने बांग्लादेश के लोगों की आजादी के लिए सत्याग्रह किया था, मैंने गिरफ्तारी दी थी। पीएम मोदी के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर मीम्स और मजेदार कमेंट की बाढ़ आ गई।
बांग्लादेश की आजादी आंदोलन में शामिल होने को लेकर दिए गए बयान पर ट्विटर यूजर @HitpalBatth8 ने महाभारत युद्ध की एक फोटो शेयर करते हुए उनपर तंज कसा। यूजर ने लिखा कि मोदी समर्थकों को पता है कि बाल नरेंद्र के पास एक टाइम मशीन थी और उन्होंने महाभारत का युद्ध भी लड़ा था। वहीं एक यूजर ने यह भी लिखा कि वे तो रामायण का भी हिस्सा थे लेकिन उन्होंने उसका क्रेडिट नहीं लिया।
पीएम मोदी के बांग्लादेश वाले बयान पर कई जाने माने लोगों ने भी प्रतिक्रिया दी। फैक्ट चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के फाउंडर मोहम्मद जुबैर ने व्यंग्य भरे लहजे में लिखा कि आप करो तो सत्याग्रह और किसान करे तो आंदोलनजीवी। कांग्रेस नेता श्रीवत्स ने भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जब 1989 में बर्लिन की दीवार गिर रही थी तो पीएम मोदी भी वहां मौजूद थे। इतना ही नहीं पत्रकार रोहिणी सिंह ने पीएम मोदी के टेलीफ़ोन पर बात करते हुए एक फोटो को शेयर करते हुए लिखा कि जब ग्रैहम बेल ने फ़ोन का आविष्कार किया तो उन्होंने सबसे पहले पीएम मोदी को फ़ोन कर उनका शुक्रिया अदा किया।
वहीं पत्रकार साकेत गोखले ने भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ट्विटर लिखा कि आंदोलन में हिस्सा लेने के कारण ही मोदी जी के सम्मान में बोस्टन टी पार्टी का नाम रखा गया। इसके अलावा कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने तो एक कार्टून शेयर कर पीएम मोदी पर तंज कसा। जयराम रमेश ने बांग्लादेश युद्ध के एक फोटो को एडिट कर उसमें प्रधानमंत्री मोदी की फोटो लगा दी।
शुक्रवार को बांग्लादेश डे के मौके पर ढाका में लोगों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि मेरी उम्र 20-22 साल रही होगी जब मैंने और मेरे कई साथियों ने बांग्लादेश के लोगों की आजादी के लिए सत्याग्रह किया था। बांग्लादेश की आजादी के समर्थन में तब मैंने गिरफ्तारी भी दी थी और जेल जाने का अवसर भी आया था। बांग्लादेश की आजादी के लिए जितनी तड़प इधर थी, उतनी ही तड़प उधर भी थी। साथ ही उन्होंने कहा कि हम भारतवासियों के लिए गौरव की बात है कि हमें शेख मुजीबुर रहमान जी को गांधी शांति पुरस्कार देने का अवसर मिला।