राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पर अशोभनीय टिप्पणी विवाद के दौरान केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और कांग्रेस अध्यक्ष के बीच भी नोकझोंक हुई थी। इसे लेकर बीजेपी ने आरोप लगाया था कि सोनिया गांधी ने ईरानी से गुस्से में कहा था- डोंट टॉक टू मी। अब स्मृति ईरानी ने खुद बताया है कि कांग्रेस अध्यक्ष उन पर क्यों भड़की थीं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उनका ऐसा करना मेरे लिए काफी आश्चर्यजनक था क्योंकि उनके बारे में हमेशा सुना था कि वो कभी मर्यादा भंग नहीं करती हैं।

न्यूज 18 इंडिया के साथ एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा, “इस लोकतंत्र का सबसे अहम पहलू है कि संविधान हम सबको एक समान अधिकार देता है। हमारे होने, बोलने और कर्तव्य पर चलने का अधिकार। मैंने मीडिया से सुना था कि सोनिया जी का वर्चस्व, स्वभाव और व्यवहार ऐसा है कि वो कभी-भी मर्यादा भंग नहीं करती हैं। हम में से कई लोगों को कहा गया था कि हम जैसे हिंदुस्तानियों से बेहतर आचरण उनका रहा है।”

केंद्रीय मंत्री ने बताया क्या हुआ था सदन में

स्मृति ईरानी ने कहा, “मैं उम्र में उनसे छोटी हूं। सदन जब स्थगित हुआ तो वो मेरी कुर्सी की तरफ आईं। उस वक्त 73 साल की एक वरिष्ठ महिला वहां उपस्थित थीं। सोनिया जी जब वहां आईं तो अपने पुरुष नेताओं के साथ आईं। ऐसा नहीं है कि उन्हें नहीं पता था कि वो मेरी कुर्सी है। रमा दीदी बिहार से हैं, पिछड़े परिवार से हैं। सोनियां गांधी ने रमा दीदी से वहां आकर कहा कि मेरा नाम मत लो। मैं वहां उपस्थित थी और मैंने विनम्रता से उनसे कहा कि आप अगर कुछ पूछना चाहती हैं, तो बोला मैंने है, तो मैडम कैन आई हेल्प यू? उनका आक्रोश अपेक्षित नहीं था।

उन्होंने कहा, “उनका आक्रोश सर आंखों पर, लेकिन सदन में उन्होंने उसे जिस तरह से प्रकट किया उससे उनकी गरिमा को उस व्यक्तित्व की गरिमा को निश्चित रूप से ठेस पहुंची और मेरे लिए एक आश्चर्यजनक कृत्य था। मैंने यह भी स्पष्ट किया कि भले ही मैं असाधारण बैकग्राउंड से हूं और चूंकि आप गांधी परिवार से हैं तो असभ्यता मैं बर्दाश्त नहीं करूंगी।”

राहुल गांधी को लेकर भी बोलीं स्मृति ईरानी

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सोनिया गांधी के बेटे को जनता ने नकारा, बार-बार मौका देने के बाद नकारा। लोकतांत्रिक ढांचे में राहुल गांधी ने अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं किया इसलिए वो हार, जिसमें मेरी गलती नहीं है।

उन्होंने कहा, “इस लोकतंत्र में जनता ने अपने प्रतिनिधि के नाते मुझे चुना। कहीं ना कहीं सोनिया गांधी का आक्रोश इस बात का है कि यह साधारण महिला ये दुस्साहस कैसे कर सकती है, लेकिन हमारे देश की एक परंपरा है कि साधारण लोग ही असाधारण काम करते हैं। अगर आपने अपना ये वर्चस्व बनाया कि हम चाहें कुछ भी करें, हम चाहें अपने कर्तव्य का पालन ना करें कि जनता को हमें स्वीकार करना होगा। हर व्यक्ति को यह समझना होगा कि लोकतंत्र में गांधी परिवार जनता की मजबूरी नहीं है।”