ब्रजेश कुमार तिवारी

राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन के तहत देश में दक्ष और कुशल श्रमशक्ति की कमी को देखते हुए प्रधानमंत्री ने 15 जुलाई, 2015 को पहले विश्व युवा कौशल दिवस के अवसर पर ‘स्किल इंडिया मिशन’ का उद्घाटन किया था। इस योजना को अब आठ साल हो चुके हैं। कौशल और ज्ञान किसी भी राष्ट्र के आर्थिक विकास और सामाजिक विकास में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। आज दुनिया में कौशल की इतनी मांग है कि जो कुशल होगा वही आगे बढ़ेगा। पिछले तीन वर्षों में, दुनिया बहुत तेजी से और कई बदलावों से गुजरी है। हर क्षेत्र ‘आफलाइन’ से ‘आनलाइन’ हो गया और अब फिर से ‘आफलाइन, आनलाइन’ दोनों प्रणाली चल रही है। इन व्यापक परिवर्तनों ने लोगों को नए कौशल अपनाने और तलाशने के लिए मजबूर किया है।

सरकार ने कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय नाम से एक अलग मंत्रालय बनाया है

भारत पिछले कुछ वर्षों से श्रम-आधारित अर्थव्यवस्था को कौशल-आधारित अर्थव्यवस्था में बदलने की दिशा में काम कर रहा है। इस क्षेत्र को गति देने और ‘फास्ट ट्रैक’ पर लाने के लिए कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय नाम से एक अलग मंत्रालय की स्थापना के साथ ही अटल इनोवेशन मिशन और इनक्यूबेशन सेंटर की स्थापना की गई है। केंद्र सरकार के प्रयासों से बीते आठ सालों में देश में कौशल प्रशिक्षण को बढ़ावा देने की दिशा में कौशल औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्रों (आइटीआइ) में करीब 24 फीसद की वृद्धि की गई है।

साल 2014 में जहां 11,847 आइटीआइ हुआ करते थे, वहीं 2022 में इनकी संख्या बढ़कर 14,747 हो गई है। केवल इतना ही नहीं, 2018 से अब तक इन आइटीआइ में चार लाख से भी ज्यादा सीटें जोड़ी जा चुकी हैं। इस वर्ष यानी 2023-24 के आम बजट में स्किल इंडिया के चौथे चरण की शुरुआत करने की घोषणा की गई है।

आज भारत दुनिया में सबसे बड़ी आबादी और सबसे बड़ी युवा आबादी वाला देश है और यह युवा शक्ति, ‘न्यू इंडिया’ का आधार स्तंभ है। 2025 तक, भारत में अनुमानित सत्तर फीसद आबादी कामकाजी आयु वर्ग में होगी। मगर क्या उन्हें रोजगार मिलेगा, यह बड़ा प्रश्न है। युवा पीढ़ी का कौशल विकास राष्ट्रीय आवश्यकता है और यही आत्मनिर्भर भारत की बुनियाद है। ऐसा न होने पर यह जनसांख्यिकीय लाभांश अपने आप में एक चुनौती बन जाएगा।

स्किल इंडिया कार्यक्रम कई कारणों से अपेक्षित सफलता हासिल नहीं कर सका है, जिसका मुख्य कारण प्रशिक्षण संबंधी बुनियादी ढांचे की कमी और निजी क्षेत्र की सीमित भागीदारी है। दूसरा मुद्दा निगरानी प्राधिकरण की कमी है, जो इन प्रशिक्षण संस्थानों के अच्छे मानक को बनाए रख सके। आज भी प्रशिक्षित, प्रमाणित और अंतत: रोजगार पाने वाले उम्मीदवारों की संख्या के बीच एक बड़ा अंतर है।

सरकार के विभिन्न प्रयासों के बावजूद, आज भी अगर देश के अस्सी करोड़ लोगों को निशुल्क अनाज दिया जा रहा है, तो निश्चित ही यह जनसंख्या अकुशल है। एक अध्ययन के अनुसार, भारत में अकार्यकुशलता के चलते 67 फीसद से अधिक नए स्नातक अपने ‘प्लेसमेंट’ के लिए संघर्ष करते हैं। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आइएलओ) के अनुसार, भारत को 2030 तक लगभग 2.9 करोड़ कुशल कर्मियों की कमी का सामना करना पड़ सकता है। 2021 में आइडीसी की एक रिपोर्ट में पाया गया कि लगभग 74 फीसद उद्यमों में अब भी कौशल की कमी है, जो समग्र नवाचार में बाधा डालता है। एक ओर भारत में कंपनियां कुशल कार्यबल की भारी कमी का सामना कर रही हैं, तो वहीं दूसरी ओर, देश में लाखों शिक्षित बेरोजगार हैं।

मानव विकास सूचकांक में भारत 191 देशों में से 132वें स्थान पर है

यूएनडीपी के मानव विकास सूचकांक में भारत 191 देशों में से 132वें स्थान पर है, जो चिंताजनक है। बेरोजगारी एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है। इस समस्या को काफी हद तक कौशल विकास को गति प्रदान कर कम किया जा सकता है। आज समय की मांग के अनुरूप विभिन्न कौशलों जैसे उद्योग-4 कौशल, विश्लेषण क्षमता, तकनीकी और डिजिटल कौशल, समस्या समाधान का कौशल, संवेगात्मक बौद्धिकता कौशल, जीवन कौशल, भाषा कौशल, डोमेन कौशल, फिनटेक कौशल और कार्यात्मक कौशल में सुधार करके युवाओं की रोजगार क्षमता बढ़ाई जा सकती है, जो अंतत: ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी।

वास्तव में एक मजबूत अर्थव्यवस्था होने के लिए, देश के पास दीर्घकालिक और सार्थक स्तर पर कौशल आधारित ज्ञान प्रणाली की आवश्यकता है, जो अर्थव्यवस्था को शक्ति प्रदान करती है। जितनी बौद्धिक संपदा सृजित होगी, उतने बड़े पैमाने पर रोजगार भी सृजित होंगे। एक कुशल और शिक्षित श्रम बल देश को उच्च विकास दर पर ले जाता है। कौशल विकास और शिक्षा ऐसा क्षेत्र है, जहां निवेश के कई प्रभाव होते हैं। जब कार्यबल अधिक कुशल बनेगा, तब आर्थिक विकास की गति को बल मिलेगा, सामाजिक बुराइयां कम होंगी और महिलाएं भी सुरक्षित होंगी। परिणामस्वरूप देश का तेजी से विकास होगा।

भारत में केवल 45 फीसद प्रशिक्षित व्यक्ति रोजगार के योग्य हैं

वर्तमान में, भारत में केवल 45 फीसद प्रशिक्षित व्यक्ति रोजगार के योग्य हैं और केवल 4.69 फीसद कार्यबल व्यावसायिक प्रशिक्षण के साथ उपलब्ध हैं। ये आंकड़े यह दर्शाते हैं कि कौशल को लेकर देश में भारी अंतर है। आने वाले समय में, वैश्विक कामकाजी आबादी का 25 फीसद हिस्सा भारत से आएगा। ऐसे में, जब तक हम अपनी युवा जनसांख्यिकी को कुशल, पुन:-कुशल और अद्यतन कुशल नहीं बनाएंगे, तब तक हम अपनी वैश्विक जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं कर पाएंगे।

एक अध्ययन के अनुसार, भारत में अकार्यकुशलता के चलते 67 फीसद से अधिक नए स्नातक अपने ‘प्लेसमेंट’ के लिए संघर्ष करते हैं। चूंकि आज कृत्रिम मेधा का उपयोग सभी क्षेत्रों में फैल रहा है, इसलिए यह महत्त्वपूर्ण है कि युवाओं को कोडिंग, एआइ, रोबोटिक्स, आइओटी, 3डी प्रिंटिंग और ड्रोन पर आधारित पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षित किया जाए। आज हमारे युवाओं को काम के लिए तैयार करने की नहीं, बल्कि दुनिया के लिए तैयार करने की जरूरत है। दुनिया में जहां भी अवसर मिले, अपने हुनर को दिखाने की आवश्यकता है।

भारत निश्चित रूप से दुनिया की कौशल राजधानी बन सकता है, लेकिन वह अभी जो कर रहा है उसके जरिए नहीं बन सकता। समय-समय पर वैश्विक कौशल अंतराल का विश्लेषण करना होगा, साथ ही भारत में नौकरियों के लिए भर्ती ‘योग्यता-आधारित’ से ‘कौशल-आधारित’ में स्थानांतरित होनी चाहिए। वर्तमान में, भारत में कम से कम बीस अलग-अलग सरकारी निकाय कौशल विकास कार्यक्रम चला रहे हैं, जिनमें कोई तालमेल नहीं है और काम में काफी समानता है। शारदा प्रसाद समिति द्वारा दी गई सिफारिशों को संजीदगी से लागू करना होगा।

इसके अलावा बाजार और उद्योग को पाठ्यक्रम, पाठ्यचर्या और प्रासंगिकता निर्धारित करने में एक बड़ी भूमिका निभानी होगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (2020) को इस दिशा में व्यावहारिक धरातल पर ईमानदारी से कोशिशें करनी होगी, यही इसके मूल्यांकन का आधार भी होगा। ऐसे समय में कौशल विकास में निवेश करना और भी महत्त्वपूर्ण है, जब कौशल विकास वैश्विक स्तर पर एक बड़ी चिंता का विषय है।

देश और प्रदेशों में चल रहे विभिन्न ‘रेवड़ी कार्यक्रमों’ का पैसा कौशल विकास क्षेत्र में लगाना समय की मांग है। यह सच है कि सरकार सभी परियोजनाओं को वित्तपोषित करने में सक्षम नहीं हो सकती है, इसलिए बड़े कार्पोरेट घरानों की पहचान करके उनके कार्पोरेट सोशल रिस्पान्सिबिलिटी (सीएसआर) का पैसा कौशल क्षेत्र में अनिवार्य रूप से लगाना होगा।