माकपा ने सोमवार को कहा कि भाजपा को ललित मोदी प्रकरण की उसी तरह से जांच कराने की अनुमति देनी चाहिए जिस तरह से यूपीए सरकार के कार्यकाल में टूजी स्पेक्ट्रम मामले में उसने जांच की मांग की थी। उसने कहा कि अगर सरकार विपक्ष की मांग पर सहमत नहीं हुई तो संसद के मानसून सत्र में कामकाज में व्यवधान उत्पन्न होने की पूरी जिम्मेदारी उसकी होगी।

मंगलवार से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र की पूर्व संध्या पर माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने संवाददाताओं से कहा कि भाजपा को ललित मोदी प्रकरण की उसी तरह से जांच कराने की अनुमति देनी चाहिए जिस तरह से यूपीए सरकार के कार्यकाल में टूजी स्पेक्ट्रम मामले में उसने जांच की मांग की थी। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान जब शुरू में मनमोहन सिंह सरकार ने मामले की जांच कराने से इनकार किया था तब टूजी स्पेक्ट्रम के मुद्दे पर उन्होंने (भाजपा) पूरे सत्र को बाधित किया था। तब संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया गया था और ए राजा को इस्तीफा देना पड़ा था।

येचुरी ने कहा कि आप उसी मापदंड को अब अपने मंत्रियों पर लागू क्यों नहीं कर रहे हैं? अगर वे इसे लागू नहीं करते और संसद में कामकाज बाधित होता है तो इसके लिए उन्हें जिम्मेदार ठहाराया जाएगा। येचुरी छह वामदलों की ओर से ललित मोदी प्रकरण, व्यापमं घोटाले और कथित छत्तीसगढ़ धान घोटाले जैसे मुद्दों पर आयोजित विरोध प्रदर्शन से हट कर बोल रहे थे।

येचुरी ने जोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सदन में बेदाग आना चाहिए और यह आश्वासन देना चाहिए कि उनकी सरकार ललित मोदी प्रकरण की जांच कराएगी और इसमें शामिल लोगों को दंडित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उन्हें (प्रधानमंत्री) यह भी आश्वासन देना चाहिए कि जब तक जांच पूरी नहीं होती, तब तक संबंधित लोगों को उनके पद से हटा दिया जाएगा।

माकपा नेता ने कहा कि संसद सत्र के दौरान विपक्ष सदन में व्यापमं घोटाले के मुद्दे को उठाएगा। साथ ही इस बात पर जोर दिया कि जब तक अदालत की निगरानी में इस घातक घोटाले की जांच पूरी नहीं होती है तब तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को निष्पक्ष जांच के लिए पद छोड़ देना चाहिए। राज्यसभा सदस्य ने हालांकि कहा कि यह स्पष्ट है कि सरकार खुद नहीं चाहती कि सदन में सुचारू रूप से कामकाज हो।

येचुरी उस सवाल का जवाब दे रहे थे जिसमें उनसे प्रधानमंत्री की खबरों में आई उस टिप्पणी के बारे में पूछा गया था जिसमें उन्होंने कहा था कि भूमि विधेयक पर निर्णय करने में देरी से विकास प्रभावित होगा। उन्होंने कहा- सरकार स्वयं भूमि विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति की रिपोर्ट में देरी कर रही है। सत्र के लिए पेश एजंडे से स्पष्ट है कि सरकार स्वयं नहीं चाहती है कि सत्र चले।

इससे पहले वामदलों ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भ्रष्टाचार मुक्त सरकार प्रदान करने के अपने वादे को पूरा नहीं करने का आरोप लगाते हुए ललित मोदी प्रकरण, व्यापमं घोटाले और दूसरे विवादों में कथित भूमिका के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग को लेकर राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन किया।

प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए येचुरी ने कहा कि सरकार के एक वर्ष पूरे होने पर मोदी ने जोरदार ढंग से कहा था कि इस अवधि में भ्रष्टाचार का एक भी मामला नहीं सामने आया। लेकिन हमने उनसे इंतजार करने को कहा था क्योंकि यूपीए सरकार के छठे या सातवें वर्ष तक भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं आया था।

उन्होंने कहा- लेकिन राजग सरकार के एक वर्ष पूरा करते ही इतने घोटाले सामने आ गए। मोदी ने भ्रष्टाचार मुक्त सरकार का वादा किया था लेकिन वह इतनी जल्दी विफल हो गया। येचुरी ने वाम दलों के उस रुख को दोहराया कि ललित मोदी प्रकरण से जुड़ी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को जांच होने तक अपने अपने पदों से इस्तीफा दे देना चाहिए।